दमोह जिले में अवैध शराब का कारोबार इस कदर फल-फूल रहा है कि अब यह एक गंभीर सामाजिक समस्या का रूप लेता जा रहा है। कुम्हारी क्षेत्र में भगवती संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा पकड़ी गई 1100 पेटी अवैध शराब, इस अवैध व्यापार की व्यापकता का एक छोटा सा उदाहरण मात्र है। यह घटना दर्शाती है कि किस तरह संगठित रूप से बड़े पैमाने पर अवैध शराब का निर्माण और परिवहन किया जा रहा है, जो कि स्थानीय प्रशासन और आबकारी विभाग की कार्यशैली पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
दमोह जिले के गांवों, कस्बों और शहर के हर कोने में अवैध शराब माफियाओं का जाल फैला हुआ है। गली-मोहल्लों में चोरी-छिपे शराब बेची जा रही है, जिससे खासकर युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में आ रही है। इसका जीता-जागता उदाहरण आपको हर कहीं आसानी से देखने को मिल जाएगा, यदि आप थोड़ा भी ध्यान दें तो पाएंगे कि पान की गुमटियों से लेकर किराना की दुकानों तक, अवैध शराब की बिक्री एक आम बात हो गई है।
अवैध रूप से संचालित हो रहे शराब के अड्डे, जिन्हें ‘अहाते’ कहा जाता है, स्थिति को और भी भयावह बना रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने इन अहातों को पूर्ण रूप से बंद करने की घोषणा की थी, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है। आज भी ये अहाते धड़ल्ले से चल रहे हैं, जहाँ देर रात तक शराबियों का जमावड़ा लगा रहता है और असामाजिक तत्वों का बोलबाला होता है। इन अहातों के कारण आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का जीवन दूभर हो गया है, उन्हें आए दिन लड़ाई-झगड़े और अभद्र व्यवहार का सामना करना पड़ता है।
मध्य प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार ने हाल ही में प्रदेश के 19 धार्मिक और संवेदनशील क्षेत्रों में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है, जो कि एक स्वागत योग्य कदम है। हालांकि, दमोह जैसे जिलों में, जहाँ अवैध शराब का कारोबार चरम पर है और इसके गंभीर सामाजिक दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं, इस प्रकार की सख्त कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता है। मुख्यमंत्री मोहन सरकार को इस दिशा में गंभीरता से सोचना होगा और अवैध रूप से चल रहे अहातों को बंद करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
दमोह शहर के प्राइवेट बस स्टैंड पर रात का दृश्य अत्यंत चिंताजनक होता है। यहाँ स्थित अहातों में शराब पीकर लोग अक्सर आपस में लड़ते-झगड़ते नजर आते हैं, जिससे यात्रियों और आम नागरिकों को भारी परेशानी होती है। विगत दिनों पहले इसी प्राइवेट बस स्टैंड पर एक व्यक्ति ने शराब के नशे में एक महिला पर चाकू से हमला कर दिया था, जो कि अवैध शराब और खुलेआम चल रहे अहातों के कारण कानून व्यवस्था की स्थिति के बिगड़ने का एक भयावह उदाहरण है। यह घटना दर्शाती है कि किस प्रकार नशे की हालत में लोग अपराध करने पर उतारू हो जाते हैं और महिलाओं की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है।
दमोह जिले का पुलिस प्रशासन और आबकारी विभाग इस गंभीर समस्या के प्रति गहरी नींद में सोया हुआ प्रतीत होता है। उनकी निष्क्रियता के कारण ही अवैध शराब माफियाओं के हौसले बुलंद हैं और वे बिना किसी डर के अपना धंधा चला रहे हैं। भगवती संगठन जैसे जागरूक नागरिक समूह ही आगे आकर इस अवैध व्यापार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और कार्रवाई करवा रहे हैं। यह आवश्यक है कि पुलिस प्रशासन और आबकारी विभाग अपनी जिम्मेदारी को समझें और अवैध शराब के कारोबार को जड़ से खत्म करने के लिए सक्रिय रूप से काम करें। नागरिकों द्वारा किए जा रहे प्रयासों को समर्थन देना और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए। इस प्रकार की निष्क्रियता न केवल कानून व्यवस्था को कमजोर करती है बल्कि समाज के ताने-बाने को भी छिन्न-भिन्न करती है।
