*मिशन अस्पताल एक बार फिर सवालों के घेरे में फर्जी डॉक्टर बनकर कर रहा था इलाज*। पंडित संदीप शर्मा जिला ब्यूरो। दमोह के मिशन अस्पताल में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां लंदन के डॉक्टर ऐन केन जॉन के नाम का दुरुपयोग करते हुए एक फर्जी डॉक्टर, नरेंद्र यादव, मरीजों का इलाज कर रहा था। शिकायतकर्ता दीपक तिवारी ने आरोप लगाया है कि इस फर्जी डॉक्टर के इलाज के चलते कम से कम सात मरीजों के इलाज के दौरान मौत हो चुकी है। *ऑपरेशन के द्वारा हो चुकी 7 व्यक्तियों की मौत*। इसके अलावा, नरेंद्र यादव पर आयुष्मान कार्ड का दुरुपयोग करके सरकारी धन का दुरुपयोग करने का भी आरोप है।
इस मामले के कुछ मुख्य रूप से फर्जी डॉक्टर नरेंद्र यादव नामक व्यक्ति लंदन के डॉक्टर ऐन केन जॉन के नाम पर मरीजों का इलाज कर रहा था। शिकायतकर्ता के अनुसार, इस फर्जी डॉक्टर के इलाज के चलते सात मरीजों की मौत हो चुकी है। नरेंद्र यादव पर आयुष्मान कार्ड का दुरुपयोग करके सरकारी धन का दुरुपयोग करने का भी आरोप है।
शिकायतकर्ता ने इस मामले की गहन जांच की मांग की है ताकि दोषियों को पकड़ा जा सके और पीड़ितों को न्याय मिल सके।
यह मामला दमोह के मिशन अस्पताल में चिकित्सा लापरवाही और धोखाधड़ी की गंभीर चिंताओं को उजागर करता है। बल्कि अस्पताल प्रबंधन की भी बहुत बड़ी लापरवाही इसमें उजागर हो रही है l सीएमएचओ द्वारा जिन पीड़ित परिवारों को पत्र जारी किया गया उसमें सत्येंद्र पिता हमिर सिंह राठौड़ निवासी लडनबाग हतना दमोह श्रीमती रईसा बेगम पति यूसुफ खान पुराना बाजार नंबर 2 दमोह इसराइल खान निवासी डॉक्टर फसारी के पास दमोह बुधा पिता मुलू अहिरवार निवासी ग्राम बरतलाई थाना पटेरा मंगल सिंह पिता गजेंद्र सिंह राजपूत निवासी ग्राम वरथलाई थाना पटेरा सामने के परिजनों को आयोग की संयुक्त टीम के समक्ष उपस्थित होकर अपने पक्ष रखने के निर्देश दिए गए हैं l शहर के चर्चित मिशन अस्पताल में फर्जी डॉक्टर द्वारा कार्डियोलॉजिस्ट बनाकर मरीजों का इलाज किए जाने और मरीजों की मौत के बाद आज राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की टीम मामले की जांच के लिए पहुंचेगी दमोह और पीड़ित परिवारों के बयानों को दर्ज कर अन्य बिंदुओं पर भी जांच करेगी दूसरी ओर इस मामले में प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाते नजर आ रहे हैं क्योंकि फरवरी माह में पीड़ित परिवारों की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत जांच और प्रतिवेदन के बाद कार्रवाई के इंतजार में अटकी रही और जब इसकी शिकायत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग तक पहुंची तब इस मामले में गंभीरता दिखाई गई *दो दिन पक्ष सुनेगी टीम*। लापरवाही के इस बड़े मामले में मानव अधिकार आयोग की टीम कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जांच करेगी इसके लिए टीम 8 और 9 अप्रैल को नगर के कर के 28 स्थित गेस्ट हाउस में पीड़ित परिवारों का पक्ष सुनेगी इसके अलावा आयुक्त द्वारा की जाने वाली जांच के बिंदुओं में कई अन्य बिंदु की शामिल किए गए हैं इसमें मिशन अस्पताल की मान्यता की तिथि पदस्थित डॉक्टरों की जानकारी नियुक्ति करने वाले का नाम और अस्पताल को प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के तहत किए गए भुगतानों की जानकारी शामिल है l *मामले में होती रही लापरवाही*। इस मामले में जिस तरह की स्थितियां सामने आई है उसमें अस्पताल प्रबंधन के साथ स्थानीय प्रशासन की भी गंभीर लापरवाही दिखाई गई आयुष्मान योजना से दिल के मरीजों के इलाज करने के नाम परमिशन अस्पताल प्रबंधन ने जिस संदिग्ध डॉक्टर की नियुक्ति की थी उसे एजेंसी के द्वारा हायर किया जाना बताया जा रहा है लेकिन किसी भी हायर किए गए डॉक्टर की नियुक्ति के दौरान उसका बैकग्राउंड उसकी योग्यता और उसके पैसे से जुड़े दस्तावेजों की जांच ना करना हैरानी पैदा करता है दूसरी ओर इस मामले में पहली शिकायत 20 फरवरी को कलेक्टर के पास गई की गई थी कलेक्टर के आदेश पर सीएमएचओ ने 7 फरवरी तक जांच करके प्रतिवेदन भी कलेक्टर को भेजा लेकिन कोई कार्रवाई प्रस्तावित नहीं हो सकी शिकायत सामने आने के बाद आरोपी डॉक्टर भी भागने में सफल हो गया मामला ठंडी बस्ती में जाता देख अधिवक्ता दीपक तिवारी द्वारा जब इसकी शिकायत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को की गई और आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो के संज्ञान में आने और निर्देशों पर जांच करवाई आगे बढ़ाई गई l। *आरोपी डॉक्टर के हैं आपराधिक रिकॉर्ड*। दूसरी ओर ऐसे पूरे मामले में संदिग्ध और फर्जी बताया जा रहा है आरोपी डॉक्टर नरेंद्र यादव उर्फ एनकेएम जॉन पर पूर्व में भी कई आपराधिक ममीद दर्ज होना सामने आ रहा है आरोपी डॉक्टर के आधार कार्ड के अनुसार उसका नाम नरेंद्र जनकेम है और उसके पिता का नाम अमरेंद्र कुमार है जो उत्तराखंड के देहरादून का निवासी है दमोह में यह डॉक्टर गुजरात में पंजीकृत वहां उपयोग कर रहा था उक्त डाक्टर सहित उसकी पत्नी दिव्या रावत पर वर्ष 2019 में तेलंगाना के रचकोंडा में राउंड वर्ल्ड हॉस्पिटल में फर्जी वाले के चलते मामा दर्ज कर गिरफ्तार के प्रयास किए गए थे वक्त समय यह अस्पताल के अध्यक्ष के पद पर थे सामने यही आ रहा है कि एक कई निजी और सास की संस्थाओं में ईमेल के जरिए अपनी बायोडाटा भेजा कर संस्था में घुसने का प्रयास करता था और कई स्थानों पर चिकित्सा के क्षेत्र में आधुनिक सुविधाएं लाने का झांसा भी देता था वक्त डॉक्टर के मीटिंग कार्ड के अनुसार वह खुद को वरिष्ठ सलाहकार इंटरनेशनल कार्डियोलॉजिस्ट और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट और जर्मनी का रहने वाला बताता था अब चुकी मामला साथ म्यूट से जुड़ा हुआ है तो दो आयोग की टीम हर पहलू पर जांच करेगी और यह भी तय है कि यदि अस्पताल प्रबंधन और प्रशासनिक अम्ल की लापरवाही सामने आती है तो यह उन सभी लोगो पर कार्रवाई की जाएगी l
