झोलाछाप व अवैध नर्सिंग होम के खिलाफ कार्रवाही में जुटा स्वास्थ्य विभाग
▪️सीएमओ ने तहसील स्तर पर बनाए नोडल अधिकारी,
▪️जनता की प्रक्रिया आज तक किसी भी झोलाछाप डॉक्टर और फर्जी नर्सिंग होम की नहीं हुई कार्रवाई
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अयोध्या। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा सुशील कुमार ने तहसील स्तर पर क्लीनिकों, पैथालॉजी सेन्टर व डायग्नोस्टिक केन्द्रों की शिकायतों तथा सूचना पर झोला छाप व अवैध नर्सिंग होम पर कार्रवाही के लिए तहसील स्तर पर नोडल अधिकारियों की तैनाती की है। नोडल अधिकारी तहसील स्तर के सरकारी चिकित्सालयों की भी निगरानी करेंगे। सीएमओ डा. सुशील कुमार ने जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. पीके गुप्ता को तहसील रुदौली, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी आशुतोष श्रीवास्तव को मिल्कीपुर, उपमुख्य चिकित्साधिकारी डा. दीपक पाण्डेय को तहसील बीकापुर, नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. राममणि शुक्ला को तहसील सदर व उपमुख्य चिकित्साधिकारी डा. वेद प्रकाश त्रिपाठी को तहसील सोहावल का नोडल अधिकारी बनाया है।सीएमओ द्वारा जारी आदेश में कहा है कि सभी नोडल अधिकारी तहसील क्षेत्र में स्थित झोलाछाप व अवैध नर्सिंग होम के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई करेंगे। इसकी प्रगति की सूचना सीएमओ कार्यालय को देते रहेंगे। इसके साथ में नोडल अधिकारी हर बुधवार व शनिवार को एक सीएचसी व आयुष्मान आरोग्य मंदिर का निरीक्षण करेंगे। सीएचसी व पीएचसी पर चिकित्सीय सेवाओं की मानीटरिंग का कार्य नोडल अधिकारी करेंगे। तो वही आम जनता का कहना है कि अधिकारी लोग जाकर के खाना पूर्ति करके पैसा लेकर कर बगल हो जाते हैं।
बताते चलें कि जिले में ऐसे कई क्लिनिक ऐसे चल रहे हैं जिनकी स्वास्थ्य विभाग लगातार अनदेखी कर रहा है। इस तरह के क्लिनिकों के न तो लाइसेंस हैं और न ही कथित डॉक्टर कहलानेवालों के पास कोई डिग्री। बावजूद गांव के मरीजों को मुर्ख बनाकर खुद आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं। मरीजों की जान की परवाह किए बगैर इलाज के नाम पर ग्रामीणों से रुपए ऐंठ लेते हैं। बाजारों व चौक चौराहों पर झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें दिनों दिन बढ़ती ही जा रही हैं। उनकी दुकानों पर लगे बोर्ड में इस तरह लिखा जाता है जैसे कि लोगो के सारे बीमारियों को पलभर में ठीक कर देंगे। लोगों को अपनी ओर खींचने के लिए तमाम तरह की डिग्रियों का जिक्र भी होता है। लेकिन सोचनेवाली बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग के लोग सबकुछ जानते हुए भी कुछ नहीं करते। इनके क्लिनिकों के नाम भी बड़े शहरों की क्लिनिकों की तर्ज पर रहते हैं। इससे लोग आसानी से प्रभावित हो जाते हैं। मरीज अच्छा डॉक्टर समझकर इलाज करवाते हैं, लेकिन उन्हें इस बात का पता नहीं रहता है कि उनका इलाज भगवान भरोसे किया जा रहा है।