दमोह संगम सेवा एवं महिला उत्थान समिति द्वारा कामयानी एक्सप्रेस में गरीब मजदूरों को निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराने का कार्य एक सराहनीय मानवीय पहल है। दीनदयाल रसोई के माध्यम से यह समिति न केवल उन मजदूरों की तात्कालिक भूख शांत कर रही है जो शायद लम्बी यात्रा के दौरान भोजन जुटाने में असमर्थ हों, बल्कि यह समाज के कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनशीलता और करुणा का भी परिचय देती है।
इस प्रकार की पहल का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है क्योंकि अक्सर दिहाड़ी मजदूर या अन्य गरीब तबके के लोग लम्बी दूरी की यात्रा करते समय भोजन की व्यवस्था को लेकर चिंतित रहते हैं। कई बार उनके पास इतना धन नहीं होता कि वे रास्ते में महंगा भोजन खरीद सकें और कई बार उन्हें गुणवत्ताहीन या अस्वास्थ्यकर भोजन पर निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे में, दमोह संगम सेवा एवं महिला उत्थान समिति द्वारा प्रदान किया गया निःशुल्क और संभवतः पौष्टिक भोजन उनके लिए न केवल शारीरिक रूप से राहत प्रदान करता है, बल्कि उन्हें यह एहसास भी दिलाता है कि समाज में ऐसे लोग भी हैं जो उनकी परवाह करते हैं।
समिति के सदस्य, मोंटी रैकवार, संजय गौतम और नीरज तिवारी, इस नेक कार्य में सक्रिय रूप से भाग लेकर एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। उनका समर्पण और सेवाभाव अन्य लोगों को भी समाज सेवा के लिए प्रेरित कर सकता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इस प्रकार के जमीनी स्तर के प्रयास ही समाज में सकारात्मक बदलाव लाते हैं और जरूरतमंदों तक वास्तविक मदद पहुँचाते हैं।
दीनदयाल रसोई, जो इस पहल का आधार है, संभवतः एक स्थायी व्यवस्था होगी जिसके माध्यम से समिति नियमित रूप से ऐसे जरूरतमंद लोगों तक पहुँचने का प्रयास करती होगी। यह पहल अन्य सामाजिक संगठनों और व्यक्तियों के लिए भी एक मॉडल बन सकती है कि किस प्रकार चलती-फिरती आबादी या यात्रा कर रहे गरीब लोगों की मदद की जा सकती है। रेलवे स्टेशनों या अन्य सार्वजनिक परिवहन के केंद्रों पर इस तरह की निःशुल्क भोजन व्यवस्था उन लोगों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकती है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं।
दमोह संगम सेवा एवं महिला उत्थान समिति का यह कार्य न केवल तात्कालिक सहायता प्रदान कर रहा है, बल्कि यह मानवीय मूल्यों, सामाजिक जिम्मेदारी और सामुदायिक भावना को भी बढ़ावा दे रहा है। मोंटी रैकवार, संजय गौतम और नीरज तिवारी जैसे समर्पित कार्यकर्ताओं की उपस्थिति इस पहल को और भी महत्वपूर्ण बनाती है।
