दमोह पथरिया के विधायक और मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री श्री लखन पटेल, भाजपा के जिला अध्यक्ष श्री श्याम शिवहरे, और भाजपा किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष श्री हरिश्चंद्र पटेल गुड्डू शामिल हैं, बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 134वीं जयंती के अवसर पर उनकी स्मृति को श्रद्धांजलि अर्पित करने का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। दमोह के अंबेडकर चौक पर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करना और भारतीय संविधान की प्रस्तावना का वाचन करना, न केवल बाबा साहेब के प्रति गहरा सम्मान व्यक्त करता है, बल्कि उनके द्वारा राष्ट्र को दिए गए अमूल्य योगदान को भी स्मरण कराता है।
डॉ. अम्बेडकर, जिन्हें भारतीय संविधान के जनक के रूप में जाना जाता है, एक महान विचारक, समाज सुधारक और न्याय के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने अपना जीवन सामाजिक समानता और वंचित वर्गों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। भारतीय संविधान, जिसकी प्रस्तावना का इस अवसर पर वाचन किया गया, उनके विचारों और दर्शन का मूर्त रूप है। यह संविधान भारत के सभी नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता का आश्वासन देता है, जो बाबा साहेब के जीवन भर के संघर्षों का सार है।
इस कार्यक्रम का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इसमें राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र के प्रमुख व्यक्ति शामिल हैं। एक निर्वाचित प्रतिनिधि और सरकार के मंत्री के रूप में श्री लखन पटेल की उपस्थिति यह दर्शाती है कि बाबा साहेब के विचारों और सिद्धांतों को आज भी महत्व दिया जाता है और वे शासन और समाज के लिए एक मार्गदर्शक शक्ति बने हुए हैं। इसी प्रकार, भाजपा के जिला अध्यक्ष श्री श्याम शिवहरे और किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष श्री हरिश्चंद्र पटेल गुड्डू की भागीदारी यह इंगित करती है कि विभिन्न स्तरों पर राजनीतिक संगठन बाबा साहेब के योगदान को स्वीकार करते हैं और उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
अंबेडकर चौक, जो कि संभवतः दमोह शहर का एक महत्वपूर्ण स्थान है, इस कार्यक्रम के लिए चुना गया। यह स्थान बाबा साहेब की स्मृति को सार्वजनिक रूप से सम्मानित करने और नागरिकों को उनके जीवन और कार्यों से अवगत कराने के लिए एक उपयुक्त मंच प्रदान करता है। पुष्पांजलि अर्पित करना एक पारंपरिक तरीका है जिससे किसी के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त किया जाता है, जबकि संविधान की प्रस्तावना का वाचन उस मूलभूत दस्तावेज के मूल्यों और सिद्धांतों को दोहराता है जो बाबा साहेब की सबसे महत्वपूर्ण विरासत है।
संविधान की प्रस्तावना, जो “हम, भारत के लोग…” से शुरू होती है, भारतीय गणराज्य की प्रकृति और लक्ष्यों को संक्षेप में प्रस्तुत करती है। इसमें निहित न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता के आदर्श बाबा साहेब के सामाजिक न्याय के दृष्टिकोण के केंद्र में थे। इस प्रस्तावना का सार्वजनिक वाचन लोगों को इन मूल्यों के महत्व को याद दिलाता है और उन्हें एक न्यायपूर्ण और समावेशी समाज के निर्माण के लिए प्रेरित करता है।
यह कार्यक्रम न केवल एक औपचारिक श्रद्धांजलि है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता के संदेश को भी बढ़ावा देती है। बाबा साहेब ने हमेशा एक ऐसे भारत की कल्पना की थी जहाँ सभी नागरिक समान हों और उन्हें विकास के समान अवसर मिलें। इस प्रकार, उनकी जयंती पर इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करना उनके सपनों को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह कार्यक्रम बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के बहुआयामी व्यक्तित्व और राष्ट्र निर्माण में उनके अद्वितीय योगदान को याद करने और सम्मानित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
