अंबेडकर जयंती के अवसर पर शहर में उमड़े उत्साह और श्रद्धा का जीवंत चित्रण करती है।
दमोह शहर का अस्पताल चौराहा एक विशाल जनसभा में तब्दील हो गया, जहाँ बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की स्मृति को समर्पित एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें न केवल शहर बल्कि आसपास के दूरदराज के क्षेत्रों से भी विशाल रैलियों का आगमन हुआ। ये रैलियां, जिनमें हर आयु और वर्ग के लोग शामिल थे, बाबासाहेब के प्रति अपनी गहरी आस्था और सम्मान का प्रतीक थीं।
इन रैलियों में लोगों का उत्साह देखते ही बनता था। वे नारे लगाते हुए, पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे, और बाबासाहेब के विचारों को अपने हृदय में संजोए कार्यक्रम स्थल की ओर बढ़ रहे थे। इन जुलूसों के मार्ग में विभिन्न स्थानों पर स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों द्वारा स्वागत सत्कार के विशेष इंतजाम किए गए थे। पुष्प वर्षा, शीतल पेय और पारंपरिक भारतीय स्वागत विधियों से रैलियों में शामिल लोगों का अभिनंदन किया गया, जो इस अवसर की सामुदायिक भावना और एकजुटता को दर्शाता है।
कार्यक्रम स्थल पर एक विशाल मंच स्थापित किया गया था, जहाँ से विभिन्न वक्ताओं ने बाबासाहेब अंबेडकर के जीवन, उनके संघर्षों और भारतीय समाज के लिए उनके अमूल्य योगदान पर प्रकाश डाला। वक्ताओं ने उनके द्वारा किए गए सामाजिक सुधारों, शिक्षा के महत्व पर उनके विचारों, और एक न्यायपूर्ण एवं समतावादी समाज के निर्माण के उनके स्वप्न को विस्तार से बताया। उनके प्रेरणादायक शब्दों ने उपस्थित जनसमूह को भावविभोर कर दिया और उनके विचारों को आगे बढ़ाने के लिए एक नई ऊर्जा का संचार किया।
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की सुरक्षा और सुव्यवस्था बनाए रखने के लिए स्थानीय प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद था। एएसपी संदीप मिश्रा, जो जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हैं, स्वयं कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित थे और सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी कर रहे थे। उनके साथ एसडीएम दमोह आरएल बागरी, जो जिले के प्रशासनिक प्रमुखों में से एक हैं, भी मौजूद थे और कार्यक्रम के सुचारू संचालन को सुनिश्चित कर रहे थे। सीएसपी अभिषेक तिवारी और टीआई आनंद सिंह जैसे अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी अपनी टीम के साथ कार्यक्रम स्थल पर तैनात थे। महिला पुलिस अधिकारी रजनी शुक्ला भी पुलिस बल का हिस्सा थीं, जो कार्यक्रम में महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा का ध्यान रख रही थीं। पुलिस बल की यह व्यापक उपस्थिति यह सुनिश्चित करने के लिए थी कि कार्यक्रम शांतिपूर्ण और अनुशासित तरीके से संपन्न हो।
अंबेडकर जयंती, जो हर साल 14 अप्रैल को मनाई जाती है, भारत के संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती है। यह दिन न केवल उनके जन्म का स्मरण कराता है, बल्कि उनके द्वारा किए गए सामाजिक और राजनीतिक योगदानों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करता है। उन्होंने दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए अथक संघर्ष किया और भारतीय संविधान में सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दमोह में आयोजित यह विशाल कार्यक्रम इसी भावना का प्रतीक है, जहाँ लोग एक साथ आकर बाबासाहेब के आदर्शों को याद करते हैं और उन्हें अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेते हैं। यह कार्यक्रम न केवल एक श्रद्धांजलि है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और एकता का भी एक शक्तिशाली संदेश देता है।
