आज दिनांक 29 अप्रैल, 2025 को दमोह जिला जेल में हुआ निरीक्षण कई मायनों में महत्वपूर्ण और सकारात्मक कदम दर्शाता है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुश्री स्नेहा सिंह का औचक दौरा,
जिसमें उन्होंने न केवल जेल की आधारभूत व्यवस्थाओं जैसे पाकशाला और बैरकों का मुआयना किया, बल्कि बंदियों से सीधा संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओं को सुना, एक पारदर्शी और मानवीय दृष्टिकोण को दर्शाता है।
जेल पाकशाला में भोजन व्यवस्था और अनाज की गुणवत्ता की जांच करना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सीधे तौर पर बंदियों के स्वास्थ्य और पोषण से जुड़ा हुआ है। गुणवत्तापूर्ण भोजन न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, बल्कि यह बंदियों के मानसिक और भावनात्मक स्थिति पर भी सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। यदि भोजन अशुद्ध या निम्न गुणवत्ता का हो, तो यह न केवल बीमारियों का कारण बन सकता है, बल्कि जेल के माहौल में असंतोष और तनाव को भी बढ़ा सकता है। सुश्री सिंह का इस पहलू पर ध्यान देना यह सुनिश्चित करता है कि बंदियों को मानवीय गरिमा के साथ जीवन जीने के लिए आवश्यक मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
इसी प्रकार, पुरुष और महिला बैरकों का अलग-अलग निरीक्षण और स्वच्छता एवं हाईजीन की जानकारी लेना जेल प्रशासन की जिम्मेदारी को दर्शाता है। जेल जैसे सीमित और घनी आबादी वाले स्थान पर स्वच्छता बनाए रखना बीमारियों को फैलने से रोकने और स्वस्थ वातावरण बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है। यह निरीक्षण यह भी सुनिश्चित करता है कि लिंग के आधार पर बंदियों की आवश्यकताओं का ध्यान रखा जा रहा है और उन्हें सुरक्षित महसूस करने का माहौल मिल रहा है।
सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि सुश्री सिंह ने बंदियों से “मुक्त चर्चा” की और उनकी विधिक समस्याओं को सुना। अक्सर, जेल में बंद व्यक्ति अपनी कानूनी उलझनों और अधिकारों के बारे में अनिश्चित महसूस करते हैं। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट का सीधे उनसे बात करना न केवल उन्हें अपनी बात रखने का मंच प्रदान करता है, बल्कि उन्हें यह भी महसूस कराता है कि न्यायपालिका उनकी परवाह करती है। उनके द्वारा दिए गए “उचित दिशा-निर्देश” बंदियों को उनकी कानूनी प्रक्रिया को समझने और आगे बढ़ने में मदद कर सकते हैं। यह कानूनी सहायता तक पहुंच को सुगम बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, दमोह के सचिव श्री ज्ञानेंद्र शुक्ला और जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री रजनीश चौरसिया द्वारा लीगल एड क्लीनिक का निरीक्षण और लीगल एड डिफेंस काउंसिल द्वारा दी जा रही बुनियादी विधिक सहायता का जायजा लेना यह सुनिश्चित करता है कि जेल में कमजोर और जरूरतमंद बंदियों को मुफ्त कानूनी सहायता मिल रही है। लीगल एड क्लीनिक जेल के अंदर ही कानूनी सलाह और सहायता प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। इन अधिकारियों द्वारा बंदियों की काउंसलिंग करना और उनकी विधिक समस्याओं का त्वरित निराकरण करने के लिए उचित निर्देश देना यह दर्शाता है कि विधिक सेवा प्राधिकरण न केवल कागजी कार्रवाई तक सीमित है, बल्कि वास्तव में बंदियों की समस्याओं को हल करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। यह पहल उन बंदियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो कानूनी प्रतिनिधित्व करने में असमर्थ हैं।
जेल अधीक्षक श्री सी.एल.प्रजापति द्वारा जेल की दैनिक गतिविधियों से अवगत कराना और बंदियों को दी गई जानकारी को अमल में लाने के लिए प्रेरित करना जेल प्रशासन और न्यायपालिका के बीच एक सकारात्मक समन्वय को दर्शाता है। यह महत्वपूर्ण है कि जेल प्रशासन निरीक्षण के दौरान पाई गई कमियों को दूर करने और दिए गए निर्देशों का पालन करने के लिए सक्रिय रूप से काम करे। बंदियों को प्रेरित करना उन्हें सुधार की दिशा में आगे बढ़ने और जेल के नियमों का पालन करने में मदद कर सकता है।
संक्षेप में, आज का निरीक्षण दमोह जिला जेल में बंदियों के मानवीय अधिकारों और कल्याण को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यह न केवल जेल की व्यवस्थाओं की निगरानी करता है, बल्कि बंदियों को यह संदेश भी देता है कि वे समाज से पूरी तरह कटे हुए नहीं हैं और उनकी समस्याओं पर ध्यान दिया जा रहा है। इस तरह के नियमित और व्यापक निरीक्षण जेल प्रणाली में पारदर्शिता, जवाबदेही और सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।