*पुरुष बली नहीं होत है, समय होत बलवान,*
*भीलन लूटीं गोपियाँ, वही अर्जुन वही बाण।।*
मऊगंज जिले के पत्रकारों ने भ्र्स्ट और अराजक व्यवस्था से जूझते लोगो की आवाज बुलन्द किया तो एसआई थाना प्रभारी नईगढ़ी के लिए इतना असहनीय दर्द हुआ कि वे पत्रकार को अपनी साजिश और षड्यंत्रों का शिकार बनाते हुए उस पर हमला कर दिया मतलब मोहन सरकार में देवतालब विधायक का संरक्षण प्राप्त होने का नतीजा है कि एक भ्र्स्ट अक्सर विवादों से नाता रखने बाले दरोगा ने इतनी बड़ी हिम्मत दिखाई कि वह पत्रकार को दस वर्षों की सजा बाले अपराध का आरोपी बना दिया है।
क्या मोहन सरकार को यह नही समझना चाहिए कि जगदीश ठाकुर सरीखे दरोगा किसी को भी हत्यारा बना सकते है तो हत्यारे को बचाने की कूबत रख सकते हैं।
हालांकि ऐसे दोषी थाना प्रभारी के गुनाह अफसरों के लिए एक छोटी बात हो सकती है, लेकिन ईश्वर न करे लेकिन वक्त कब पलटी मार दे कहा नहीं जा सकता कि किसी दिन उनके साथ ऐसा कुछ हो तभी इस पीड़ा को वे सही तरीके से समझ सकते हैं।
*इसी पर हम याद दिलाना चाहेगे कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष मौजूदा देवतालाब विधायक आदरणीय श्री गिरीश गौतम जी को अपने पद और रुतबे में यह बात नही भूलना चाहिये कि वे इसके पहले मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष थे लेकिन आज सिर्फ विधायक हैं उन्हें और उनकी सरकार के साथ पार्टी को समझना होगा वर्षों पूर्व की ऐसी कहानियां आज भी प्रासंगिक हैं इसलिए भाजपा के दिग्गजों की यह बड़ी भूल है कि सत्ता में रहकर जनता के साथ जैसा सलूक करेगे उंसे सहना उनकी मजबूरी है क्योंकि 70 वर्षों तक शासन करने बाली सरकार को इसी जनता ने गर्त में मिला दिया तो वे लोकतांत्रिक व्यवस्था से खिलवाड़ कर कैसे बच सकते हैं,अब इस बात को गहराई से समझने के लिए थोड़ा पीछे मुड़कर देखना होगा जहां 90 के दशक में मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह जी की सरकार में कथित अमहिया सरकार उदाहरण है जहां पर दिग्विजय सरकार के साथ ही एक सरकार चलती थी कथित अमहिया सरकार उस वक्त विधानसभा अध्यक्ष श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी दादा जी की दरबार मे मुख्यमंत्री से लेकर कमिश्नर आईजी और कलेक्टर,एसपी तक हाजिरी लगाते थे,इतना ही नही रीवा में बैठे बैठे उनके एक ही फोन से कलेक्टर और एसपी के तबादले हो जाते थे लेकिन इसी बीच एक ऐसा नाजुक दौर आया कि जनता के गुस्से के सामने एक झटके में सब कुछ सफा हो गया नतीजा यह हुआ कि अमहिया सरकार ही नही मध्यप्रदेश से पूरी कांग्रेस का सफाया हो गया। जिसके बाद मध्यप्रदेश में एक नया दौर शुरू हुआ भाजपा की सरकार बनी तब कांग्रेस सरकार मे पहले दाऊ साहब उसके बाद दादा जी के पीछे दौड़ लगाने बाले राजेन्द्र शुक्ला जी ने भी उस वक्त शायद ही ऐसी कल्पना की रही हो कि वे एक दिन मंत्री फिर उपमुख्यमंत्री बनेंगे और अमहिया में उनकी सरकार चलेगी। तो वहीं भाजपा की सरकार में गिरीश गौतम जी लम्बे इंतजार के बाद विधानसभा अध्यक्ष बनकर फिर विधायकी तक सिमट कर रह जाएंगे।*
