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दमोह सिटी कोतवाली पुलिस की हालिया कार्रवाई, जिसने ऑनलाइन आईपीएल क्रिकेट सट्टेबाजी के एक बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ किया

दमोह सिटी कोतवाली पुलिस की हालिया कार्रवाई, जिसने ऑनलाइन आईपीएल क्रिकेट सट्टेबाजी के एक बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ किया

केवल कुछ अपराधियों की गिरफ्तारी और कुछ मोबाइल फोन की जब्ती से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। यह कार्रवाई कानून प्रवर्तन

एजेंसियों की बदलती तकनीकों और साइबर अपराधों के जटिल जाल को भेदने की उनकी बढ़ती क्षमता का एक सशक्त उदाहरण है।

पुलिस अधीक्षक और नगर पुलिस अधीक्षक के दूरदर्शी नेतृत्व में, थाना प्रभारी कोतवाल निरीक्षक मनीष कुमार और उनकी समर्पित टीम ने जिस कुशलता और व्यावसायिकता के साथ इस ऑपरेशन को अंजाम दिया, वह न केवल सराहनीय है बल्कि अन्य पुलिस बलों के लिए भी एक बेंचमार्क स्थापित करता है। 28 और 29 अप्रैल, 2025 को दो अलग-अलग जगहों में सात आरोपियों की गिरफ्तारी, महज संयोग नहीं है, बल्कि यह गहन खुफिया जानकारी, सटीक रणनीति और त्वरित निष्पादन का परिणाम है, जो दर्शाता है कि पुलिस ने इस मामले की गहराई को समझा और सुनियोजित तरीके से एक साथ कई ठिकानों पर दबिश दी।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों के नामों और उनके निवास स्थानों का विस्तृत विश्लेषण इस सट्टेबाजी सिंडिकेट की संरचना और पहुंच पर प्रकाश डालता है। जबलपुर नाका निवासी अक्कू उर्फ अखिलेश रैकवार और सिविल वार्ड नंबर 4 के रिंकू यादव जैसे विभिन्न इलाकों के व्यक्तियों की संलिप्तता यह दर्शाती है कि यह अवैध नेटवर्क शहर के अलग-अलग कोनों में अपनी जड़ें जमा चुका था। यह भी संभव है कि ये अलग-अलग स्थानों पर सक्रिय सदस्य एक केंद्रीकृत नियंत्रण या संचार प्रणाली के माध्यम से आपस में जुड़े हुए थे, जो एक सुसंगठित अपराध नेटवर्क की ओर इशारा करता है, जिसमें विभिन्न भूमिकाओं और जिम्मेदारियों का विभाजन हो सकता है। उदाहरण के लिए, कुछ आरोपी ग्राहकों से दांव इकट्ठा करने में विशेषज्ञ हो सकते हैं, जबकि अन्य वित्तीय लेनदेन को संभालने या तकनीकी सहायता प्रदान करने में माहिर हो सकते हैं। टिंकू उर्फ कृष्ण कुमार राय (बजरिया वार्ड नंबर 7), रितेश चौरसिया और स्वर हरि शंकर चौरसिया (पटेरा वार्ड नंबर 1), अखिलेश असाटी (टंडन बागीचा), पप्पू उर्फ प्रवीण चौरसिया (असाटी वार्ड नंबर 1), और मनीष असाटी (इंदिरा कॉलोनी) जैसे विभिन्न सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों की भागीदारी यह भी इंगित करती है कि ऑनलाइन सट्टेबाजी का प्रलोभन कितना व्यापक हो सकता है और यह समाज के विभिन्न स्तरों पर लोगों को अपनी गिरफ्त में ले सकता है, जिससे सामाजिक ताने-बाने को खतरा पैदा हो सकता है।
पुलिस द्वारा आरोपियों से बरामद की गई भौतिक संपत्ति, जिसमें ₹81,500 मूल्य के छह अलग-अलग मोबाइल फोन और ₹5,450 नकद शामिल हैं, इस अपराध के मूर्त पहलुओं को दर्शाती है और डिजिटल और पारंपरिक अपराध के मिश्रण को उजागर करती है। आज के डिजिटल परिदृश्य में मोबाइल फोन ऑनलाइन सट्टेबाजी के लिए अपरिहार्य उपकरण बन गए हैं, जो सट्टेबाजों को गुमनाम रूप से काम करने और व्यापक ग्राहक आधार तक पहुंचने की सुविधा प्रदान करते हैं। विभिन्न प्रकार और कीमतों के छह मोबाइल फोनों की जब्ती यह भी बताती है कि आरोपी अलग-अलग परिचालन स्तरों पर काम कर रहे थे और संचार और लेनदेन के लिए विभिन्न तकनीकी उपकरणों का उपयोग कर रहे थे। उदाहरण के लिए, कुछ उच्च-एंड स्मार्टफोन का उपयोग जटिल सट्टेबाजी प्लेटफार्मों तक पहुंचने और प्रबंधित करने के लिए किया जा सकता है, जबकि पुराने या कम खर्चीले फोन का उपयोग साधारण संचार या बैकअप के लिए किया जा सकता है। मौके पर मिली नकद राशि तत्काल भुगतान और लेनदेन का प्रमाण है, जो ऑनलाइन लेनदेन के साथ-साथ पारंपरिक नकदी-आधारित सट्टेबाजी की उपस्थिति को भी दर्शाता है।
हालांकि, इस पूरे ऑपरेशन का सबसे महत्वपूर्ण और चिंताजनक पहलू जब्त किए गए मोबाइल फोनों में पाया गया लगभग ₹5 लाख का हिसाब है। यह चौंकाने वाला आंकड़ा इस बात का अकाट्य प्रमाण है कि दमोह पुलिस ने केवल कुछ शौकिया सट्टेबाजों को नहीं पकड़ा है, बल्कि एक सुव्यवस्थित और बड़े पैमाने पर चलने वाले ऑनलाइन सट्टेबाजी रैकेट का पर्दाफाश किया है। ₹5 लाख का हिसाब संभवतः केवल कुछ दिनों या हफ्तों के भीतर किए गए अवैध वित्तीय लेनदेन का विवरण हो सकता है, जिसमें दांव पर लगाई गई और जीती गई राशि, कमीशन और अन्य संबंधित लागतें शामिल हो सकती हैं। यदि इस रैकेट की गतिविधियां लंबे समय से चल रही थीं, जैसा कि इस पैमाने के नेटवर्क के लिए संभावना है, तो कुल मिलाकर इसमें शामिल अवैध धन की राशि कई करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। यह वित्तीय पहलू न केवल इस अपराध की आर्थिक गंभीरता को रेखांकित करता है, बल्कि यह भी बताता है कि इस अवैध गतिविधि से कितना काला धन उत्पन्न हो रहा था, जिसका उपयोग संभावित रूप से अन्य गैरकानूनी गतिविधियों, जैसे कि ड्रग तस्करी या मनी लॉन्ड्रिंग, को वित्तपोषित करने के लिए भी किया जा सकता था।
दमोह कोतवाली पुलिस की इस महत्वपूर्ण सफलता के पीछे निरीक्षक मनीष कुमार का दूरदर्शी नेतृत्व और उनकी टीम का अटूट समर्पण रहा। साइबर सेल के प्रधान आरक्षक सौरभ टंडन और उनकी टीम की विशेषज्ञता विशेष रूप से महत्वपूर्ण रही होगी, क्योंकि ऑनलाइन सट्टेबाजी के जटिल डिजिटल फुटप्रिंट को ट्रैक करना, एन्क्रिप्टेड संचार को डिक्रिप्ट करना और ठोस तकनीकी सबूतों को इकट्ठा करना आधुनिक साइबर अपराध जांच का एक अनिवार्य हिस्सा है। प्रधान आरक्षक राकेश अथिया, अजीत दुबे, प्रमोद चौबे, पंकज, और आरक्षक नरेंद्र पटेरिया, विजेंद्र मिश्रा, नारायण, कृष्ण कुमार लोधी, प्रदीप शर्मा और आकाश पाठक सहित सभी पुलिसकर्मियों ने इस जटिल ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम देने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। यह टीम वर्क, समन्वय और प्रत्येक सदस्य की विशिष्ट कौशल और समर्पण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो दिखाता है कि प्रभावी कानून प्रवर्तन के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण कितना महत्वपूर्ण है।
रिपोर्ट में दमोह शहर के कुछ “नामी ग्रामी” लोगों के नाम सामने आने की संभावना का उल्लेख इस मामले को एक और गंभीर आयाम देता है। यदि यह जानकारी सत्य साबित होती है, तो यह न केवल कानून के शासन के लिए एक चुनौती होगी, बल्कि यह भी उजागर करेगी कि ऑनलाइन सट्टेबाजी की समस्या समाज के उच्च स्तरों तक भी अपनी पैठ बना चुकी है। समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों की संलिप्तता यह दर्शा सकती है कि अवैध गतिविधियों में शामिल होने का प्रलोभन कितना शक्तिशाली हो सकता है और यह समाज के हर वर्ग को प्रभावित कर सकता है, जिससे नैतिक मूल्यों और कानून के प्रति सम्मान में कमी आ सकती है। ऐसे प्रभावशाली व्यक्तियों के खुलासे से न केवल कानून की नजर में उनकी जवाबदेही तय होगी, बल्कि यह समाज के अन्य लोगों के लिए भी एक शक्तिशाली निवारक के रूप में काम करेगा, यह संदेश देगा कि गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने के गंभीर परिणाम होते हैं, चाहे किसी की सामाजिक या आर्थिक स्थिति कुछ भी हो। यह समाज में विश्वास बहाल करने और कानून के समक्ष सभी की समानता के सिद्धांत को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
इस पूरी कार्रवाई का महत्व इसलिए भी कई गुना बढ़ जाता है क्योंकि आईपीएल जैसे बड़े क्रिकेट आयोजनों के दौरान ऑनलाइन सट्टेबाजी की गतिविधियां अप्रत्याशित रूप से बढ़ जाती हैं। सट्टेबाज इन अत्यधिक लोकप्रिय खेल आयोजनों का फायदा उठाकर बड़ी संख्या में क्रिकेट प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं, जिनमें युवा और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग भी शामिल होते हैं, जो त्वरित और आसान पैसे के लालच में फंस जाते हैं। इस तरह की अवैध सट्टेबाजी न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह व्यक्तियों और उनके परिवारों को गंभीर आर्थिक बर्बादी, कर्ज के जाल और अन्य विनाशकारी सामाजिक समस्याओं की ओर भी धकेल सकती है, जिससे सामाजिक अशांति और अपराध में वृद्धि हो सकती है।
दमोह पुलिस की यह उल्लेखनीय सफलता न केवल मध्य प्रदेश राज्य के अन्य जिलों और शहरों की पुलिस के लिए, बल्कि पूरे देश में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरणा का स्रोत बन सकती है। यह दृढ़ता से स्थापित करता है कि यदि सही रणनीति, उन्नत तकनीकी विशेषज्ञता, समर्पित और समन्वित टीम वर्क और मजबूत नेतृत्व हो, तो ऑनलाइन अपराधों की बढ़ती चुनौती पर भी प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकता है। आगे की गहन जांच में इस रैकेट के अन्य संभावित सदस्यों, उनके वित्तीय स्रोतों, उनके द्वारा उपयोग किए गए परिष्कृत तकनीकी माध्यमों और उनके अंतरराष्ट्रीय संपर्कों का भी पता चलने की प्रबल संभावना है, जिससे इस पूरे अवैध नेटवर्क को जड़ से उखाड़ फेंका जा सकेगा। यह साहसिक और सफल कार्रवाई निश्चित रूप से दमोह शहर और आसपास के क्षेत्रों में ऑनलाइन सट्टेबाजी की अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने में एक महत्वपूर्ण और निर्णायक कदम साबित होगी और आपराधिक तत्वों के बीच कानून के डर को मजबूत करेगी, जिससे एक सुरक्षित और अधिक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना में मदद मिलेगी।

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