चली ट्रांसफर एक्सप्रेस, आवेदनों की यात्रा शुरू
भोपाल लंबी प्रतीक्षा के बाद प्रदेश कर्मचारियों के लिए स्थानांतरण नीति सामने आई है। ऐसे में एक मई से कर्मचारियों के स्थानांतरण आवेदन तो शुरू हो गए, लेकिन नीति की स्पष्टता न होने के कारण विभाग प्रमुखों के सामने असमंजस की स्थिति बनी हुई है। उधर ई ऑफिस प्रणाली के कारण भी आवेदकों में असमंजस बना हुआ है। जिले में कर्मचारियों ने अपना जोर जुगाड़ बनाना शुरू कर दिया है यहां तक कि दलाल भी इस पेश में फिर लौट आए हैं। कुछ लोग स्थानांतरण के नाम पर पैसे खाने की तैयारी में भी हैं। पॉलिसी के प्रस्ताव के अनुसार पद एवं संवर्ग की संख्या के आधार पर अधिकतम 20 प्रतिशत (स्वैच्छिक ) स्थानांतरण किए जा सकेंगे। पहली बार यह भी निर्णय लिया गया है कि विभाग स्वयं भी अपनी ट्रांसफर पॉलिसी बना सकेंगे। बात कुछ भी हो पर बार बार यह प्रश्र उठ रहे हैं कि कुछ लोग स्थानांतरण नहीं करवाना चाहते हैं वे कुर्सी में चिपके हुए हैं। उनका स्थानीय नेटवर्क भी मजबूत हो गया है। इन पर भी ध्यान देना आवश्यक होगा।
ऐसे होंगे कर्मचारियों के ट्रांसफर
विभागों को ट्रांसफर पॉलिसी बनाने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) से स्वीकृति लेना होगी। सूत्र बताते हैं स्थानांतरण से प्रतिबंध हटने की अवधि में बड़ी संख्या में ट्रांसफर होने के आसार हैं। नई पॉलिसी के अनुसार तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का जिले के भीतर स्थानांतरण जिला कलेक्टर के माध्यम से प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से होगा। जिले के बाहर कर्मचारियों का स्थानांतरण विभागीय मंत्री के अनुमोदन से होगा।
चतुर्थ श्रेणी के लिए स्थानांतरण कभी भी
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के स्थानांतरण अब कभी भी हो सकते हैं। इन कर्मचारियों के स्थानांतरण की फाइल अब प्रतिबंध अवधि के दौरान मुख्यमंत्री समन्वय में नहीं भेजी जाएगी। इनके स्थानांतरण विभागीय मंत्री सीधे कर सकेंगे। 2023 में हुए एमपी विधानसभा चुनाव के बाद से प्रदेश में तबादलों पर बैन लगा हुआ था और नई ट्रांसफर नीति घोषित नहीं की गई थी, जिसके चलते कर्मचारियों अधिकारियों में नाराजगी बढऩे लगी थी, अब इससे बैन हटा दिया है जिसकी प्रक्रिया 30 मई तक चलेगी। आखिरी बार तबादला नीति 2021-22 में लागू की गई थी।
मंत्रियों के यहां लगने लगी सिफारिशत
नए सिस्टम के अनुसार मंत्री अपने विभागों में एक से दूसरे जिले में अधिकारी, कर्मचारी के ट्रांसफर कर सकेंगे। इसके अलावा वे अपने प्रभार के जिलों में कलेक्टर द्वारा तैयार की जाने वाली जिला स्तरीय स्थानांतरण सूची भी अनुमोदित करेंगे। इसके आधार पर ही स्थानांतरण होंगे। विधायक अपनी पसंद के अधिकारी, कर्मचारी को अपने जिले या क्षेत्र में पदस्थ कराने के लिए अनुशंसा कर सकेंगे। नीति लागू नहीं होने के दौरान भी स्थानांतरण हो रहे थे। लेकिन सभी प्रशासनिक आधार पर किए जा रहे थे। चुनिंदा मामलों में ही स्वैच्छिक आधार पर मंत्री, प्रमुख सचिव की सहमति से स्थानांतरण हो रहे थे। अब नीति लागू होने का लाभ सभी कर्मचारी-अधिकारी वर्ग को मिलेगा।
आईएएस, आईपीएस के तबादले वर्ष भर
आईएएस, आईपीएस अधिकारियों की जिम्मेदारी जिलों में प्रशासनिक और कानूनी व्यवस्था को बनाए रखने की होती है। इसके साथ ही मंत्रालय और विभागाध्यक्ष स्तर पर भी व्यवस्था बनाए रखने के लिए तबादले होते रहते हैं। कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादले प्रदेश के एक से दूसरे जिले में हो सकेंगे। इसके अलावा जो कर्मचारी जिले में पदस्थ हैं और वे अपने गृह विधानसभा या तहसील में पदस्थ होना चाहते हैं, तो वे जिला स्तर पर आवेदन कर अपने तबादले करा सकेंगे।
पदस्थ पति पत्नी एक ही जिले में
शासकीय नौकरी में पदस्थ पति-पत्नी को एक ही जिले में स्थानांतरण के लिए प्राथमिकता दी जाएगी। अभी तक सरकार प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरण करती रही है, लेकिन स्वैच्छिक आधार पर स्थानांतरण नहीं हुए हैं। इस बार स्वैच्छिक आधार पर स्थानांतरण चाहने वालों के लिए भला होगा और चूंकि आवेदन ऑनलाइन होंगे और प्रक्रिया पारदर्शी होगी इसलिए दलालों को कोई अधिक भाव नहीं मिल पाएगा। यद्यपि प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के अधिकारियों, कर्मचारियों को विभाग द्वारा तय की गई प्रक्रिया के आधार पर आवेदन करना होगा, जो विभाग ऑनलाइन आवेदन लेते हैं वहां ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे। जहां ऐसी व्यवस्था नहीं है वहां विभागाध्यक्षों, मंत्रियों के यहां ऑफलाइन आवेदन जमा होंगे।
