निश्चित रूप से। डायल-100 सेवा, जैसा कि दमोह की इस घटना से स्पष्ट होता है, महज़ एक पुलिस सहायता नंबर नहीं, बल्कि एक जीवन रेखा के रूप में उभर रही है। यह सेवा न केवल अपराध नियंत्रण में सहायक है, बल्कि उन आपातकालीन स्थितियों में भी तत्काल राहत पहुँचाने का माध्यम बन गई है, जहाँ समय पर हस्तक्षेप जीवन और मृत्यु के बीच का अंतर साबित हो सकता है।
समरा मड़िया गाँव की इस घटना पर यदि हम गहराई से विचार करें, तो यह कई महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करती है। रात्रि के समय, जब अक्सर यातायात और अन्य सहायता के साधन सीमित हो जाते हैं, डायल-100 की त्वरित प्रतिक्रिया एक वरदान साबित हुई। प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिला और उसके नवजात शिशु को, जिनके लिए हर पल कीमती था, डायल-100 के जवानों ने न केवल घटनास्थल पर पहुँचकर प्राथमिक सहायता प्रदान की, बल्कि उन्हें सुरक्षित रूप से अस्पताल पहुँचाकर एक महत्वपूर्ण मानवीय कर्तव्य निभाया।
इस घटना में डायल-100 के आरक्षक कुलदीप सोनी और पायलेट हरी शंकर बंसल की भूमिका विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उन्होंने न केवल पेशेवर दक्षता का परिचय दिया, बल्कि मानवीय संवेदना का भी उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया। विपरीत परिस्थितियों में भी शांत रहकर सही निर्णय लेना और पीड़ित परिवार को ढाढ़स बंधाना उनकी कार्यशैली का अभिन्न हिस्सा रहा होगा।
ऐसी घटनाएं यह भी दर्शाती हैं कि पुलिस बल का दायित्व केवल कानून और व्यवस्था तक ही सीमित नहीं है। वे समुदाय के अभिन्न अंग हैं और उनकी भूमिका एक मित्र और सहायक की भी है, जो किसी भी संकट की स्थिति में नागरिकों के साथ खड़े रहते हैं। डायल-100 सेवा इसी बहुआयामी भूमिका का एक सशक्त प्रमाण है। यह सेवा न केवल महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है, बल्कि बच्चों, बुजुर्गों और अन्य ज़रूरतमंदों के लिए भी एक त्वरित और विश्वसनीय सहारा बन चुकी है।
इसके अतिरिक्त, यह घटना ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच और आवश्यकता पर भी प्रकाश डालती है। दूर-दराज के गाँवों में अक्सर चिकित्सा सुविधाएँ आसानी से उपलब्ध नहीं होती हैं, और ऐसे में डायल-100 जैसी सेवाएं संकट में फंसे लोगों के लिए उम्मीद की किरण साबित होती हैं। यह सरकार और प्रशासन के लिए भी एक सबक है कि इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को और सुदृढ़ करने की आवश्यकता है, ताकि ऐसी आपात स्थितियों में लोगों को तत्काल और प्रभावी चिकित्सा सहायता मिल सके।
अंततः, दमोह की यह घटना डायल-100 सेवा की सफलता की एक जीती-जागती तस्वीर है। यह सेवा न केवल आंकड़ों और रिपोर्टों में, बल्कि वास्तविक जीवन में लोगों की मदद कर रही है और समाज में सुरक्षा और विश्वास की भावना को मजबूत कर रही है। ऐसे कर्मवीर पुलिसकर्मियों की वजह से ही डायल-100 सेवा सही अर्थों में “महिला सुरक्षा की परिचायक” बनी हुई है और लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान रखती है।
