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दमोह में हुई यह दुखद घटना सिर्फ एक व्यक्ति की मौत का मामला नहीं है, बल्कि यह कई गंभीर सवालों को जन्म देती है।

दमोह में हुई यह दुखद घटना सिर्फ एक व्यक्ति की मौत का मामला नहीं है, बल्कि यह कई गंभीर सवालों को जन्म देती है। 45 वर्षीय जहीर खान, जो बजरिया वार्ड क्रमांक 7 के निवासी थे और वाहन सुधारने का काम करते थे, अपनी आजीविका कमाने के लिए हर रोज की तरह निकले होंगे। यह कल्पना करना भी दुखद है कि कैसे एक सामान्य दिन अचानक एक भयावह दुर्घटना में बदल गया।
यह घटना रेलवे ट्रैक के आसपास सुरक्षा व्यवस्था की कमी को उजागर करती है। सागर नाका चौकी के समीप कृषि उपज मंडी जैसे व्यस्त क्षेत्र के पास रेलवे ट्रैक पर लोगों की आवाजाही कितनी सुरक्षित है? क्या यहाँ पर्याप्त सुरक्षा उपाय मौजूद हैं, जैसे कि बैरिकेडिंग या चेतावनी संकेत? अक्सर देखा जाता है कि ऐसे क्षेत्रों में लोग जल्दबाजी में या असावधानी के कारण रेलवे ट्रैक पार करने की कोशिश करते हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। इस विशेष मामले में, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि जहीर खान रेलवे ट्रैक पर कैसे पहुँचे, लेकिन उनकी उपस्थिति निश्चित रूप से सुरक्षा प्रोटोकॉल पर सवाल उठाती है।
इसके अलावा, यह घटना असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की असुरक्षा पर भी ध्यान आकर्षित करती है। जहीर खान एक वाहन सुधारने वाले मिस्त्री थे, जो संभवतः दैनिक वेतन भोगी या छोटे स्तर पर अपना काम करते थे। ऐसे श्रमिकों के लिए अक्सर कोई औपचारिक सुरक्षा जाल या बीमा नहीं होता है। उनकी मौत न केवल उनके परिवार के लिए एक अपूरणीय क्षति है, बल्कि यह उनकी आर्थिक सुरक्षा पर भी एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाती है। यदि जहीर खान अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले थे, तो उनकी मृत्यु के बाद उनके आश्रितों का क्या होगा? क्या सरकार या स्थानीय प्रशासन ऐसे परिवारों के लिए किसी प्रकार की सहायता प्रदान करता है?
यह दुर्घटना हमारे समाज के विकास के मॉडल पर भी सोचने की आवश्यकता पैदा करती है। क्या हम सिर्फ आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, या हम अपने नागरिकों की सुरक्षा और कल्याण को भी समान महत्व दे रहे हैं? रेलवे जैसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के आसपास सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है। यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा और बीमा का लाभ मिले, ताकि ऐसी दुखद घटनाओं के बाद उनके परिवारों को बेसहारा न छोड़ दिया जाए।
अंततः, जहीर खान की मौत एक त्रासदी है जिसे टाला जा सकता था। यह घटना हमें एक समाज के रूप में अपनी प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार करने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करती है कि विकास का लाभ सभी तक पहुंचे और किसी भी नागरिक को असुरक्षित परिस्थितियों में अपनी जान न गंवानी पड़े। जहीर खान के परिवार के प्रति हमारी गहरी संवेदनाएं हैं, और उम्मीद है कि इस घटना से सबक लेते हुए भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।

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