मध्य प्रदेश का मैहर वाकई में अजब है। ठेकेदार को सात तोपों की सलामी भले ही मज़ाक में दी जा रही हो, लेकिन
अच्छी बात यह है कि खबर का असर हुआ और संभागीय कमिश्नर के संज्ञान में आने के बाद हैंडपंप को हटा दिया गया। कम से कम अब राहगीरों के लिए जान का खतरा टल गया। यह ज़रूर है कि इस पूरे मामले में निगरानी करने वाले इंजीनियर की भूमिका भी सवालों के घेरे में आनी चाहिए। उन्हें प्रशस्ति पत्र तो नहीं, बल्कि शायद थोड़ी और जिम्मेदारी से काम करने की सीख मिलनी चाहिए।
यह घटना वाकई में दर्शाती है कि कभी-कभी ऐसी चूक हो जाती है जिन पर विश्वास करना मुश्किल होता है और जैसा कि लोग कह रहे हैं, “ये सिर्फ मध्यप्रदेश में ही सम्भव है” – यह टिप्पणी अपने आप में बहुत कुछ कह जाती है! उम्मीद है कि भविष्य में इस तरह की लापरवाही से बचा जाएगा।