*चंद दिनों दूर है नौतपा, उबल रहे हैं लोग समझ में नहीं आ रही प्रकृति की मंशा*।
प्रदेश….ज्येष्ठ माह में नौतपा के लिए चंद दिन ही शेष हैं। इससे पहले गर्मी आफत बनकर टूट पड़ी है। एसी और कूलर भी हॉफने लगे हैं। राहगीर पेड़ पौधों की छांव ढूढ़ते नजर आ रहे हैं। पेड़ों की असली पहचान अब समझ में आ रही है। जहां प्रशासन लू और पेयजल संकट से निपटने के लिए प्लान की घंटी बजा रहा है वहीं वर्षा ऋतु में आने वाली परेशानियों को लेकर भी बचाव कार्य के उपायों को रेडी किया जा रहा है। यद्यपि इन दिनों लोगों की जुबान पर नौतपा है। जहां ठण्ड में 25 दिसम्बर से बड़े दिन शुरू होने पर लोगों का दिल दिमाग खिलने लगता है वहीं 25 मई से लोगों का दिल दिमाग टनगने लगता है। ऐसा लग रहा है कि गर्मी का मौसम सारी गर्मी अभी ही उड़ेल देना चाहता है।
करवटें बदल रहा है मौसम यद्यपि मई में मौसम ने कई करवटें ली हैं। जिसमे आंधी, बूंदाबांदी और बादलों का डेरे का साम्राज्य मंडराता रहा है। कब, कहां और क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता है। प्रकृति के आगे तो सभी फेल हैं पर फिर भी वैज्ञानिकों द्वारा अदृश्य रूप से मौसम से छेड़छाड़ की जा रही है। यह एक्सपरीमेेंट है या तपिश बढ़ाना है? यही वजह है कि सारे अनुमान सही नहीं ठहर पा रहे हैं। कुछ दशकों पूर्व मौसम की यह स्थिति नहीं हुआ करती थी क्योंकि भू जल स्तर और वनस्पति सम्पदा के चलते गर्मी का प्रकोप कुछ हद तक सिकुड़ जाता था। लेकिन इन दिनों गर्मी के तेवर भयावह लगने लगे हैं।नौतपा 9 दिन का क्यों? यह सभी जानते हैं कि सूर्य के चारों ओर नौ ग्रह चक्कर लगाते हैं। जिसमे एक पृथ्वी भी है। कुल 9 ग्रहों को इन 27 नक्षत्रों में बांटा गया है और हर एक ग्रह 3 नक्षत्रों के स्वामी होते हैं। पृथ्वी के इस बढ़ते तापमान का नक्षत्र से कोई लेना-देना नहीं होता है। नौ तपा में सूर्य और पृथ्वी की निकटता बढ़ जाती है। सत्यता यह है कि सूर्य की परिक्रमा करते हुए पृथ्वी एक ऐसी स्थिति में आती है, जब सूर्य के पीछे वृषभ तारामंडल का तारा रोहिणी आता है। इसी से पहले नौ दिन गर्मी के कारण नौतपा कहलाते हैं।नौतपा मानते हैं आवश्यक नौतपा के दौरान गर्मी से किसानों को कई तरह के लाभ होते हैं। भीषण गर्मी के कारण खेतों में कीट-पतंग और जहरीले जीव-जंतु नष्ट हो जाते हैं, जिससे फसलों को नुकसान कम होता है। इसके अलावा, नौतपा के बाद अच्छी बारिश होने की संभावना भी बढ़ जाती है। गर्मी के कारण खेतों में उपस्थित रोग भी नष्ट हो जाते हैं, जिससे खेती की जमीन स्वस्थ रहती है। स्थिति कुछ भी हो पर जितनी गर्मी अभी पड़ रही है वह नौतपा की तरह ही है। चढऩे लगा पारा नौ तपा के लिए नौ दिन बाकी है पर सूर्य को अभी से खुजली होने लगी और आग बरसाने की प्रबल इच्छा से दहाड़ रहा है। पारा अधिकतम स्तर पर 44 के पार जा रहा है। पब्लिक झुलस रही है। पब्लिक पेड़ पौधे लगाकर सूर्य की तपिश से निपट सकती है। इन दिनों लू और गर्म थपेड़ों से लग रहा है कि मानों सूर्य कह रहा है कि ये तो ट्रेलर है पिक्चर बाकी है।