महिला डॉक्टर पर मारपीट और दुर्व्यवहार का आरोप, प्रशासन पर भी सवाल
दमोह/पन्ना: दमोह और पन्ना जिले की सीमा पर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रनेह में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक महिला स्टाफ नर्स पर एक गर्भवती महिला के पति के साथ न केवल मारपीट और गाली-गलौज का आरोप लगा है, बल्कि यह भी आरोप है कि स्थानीय प्रशासन ने उल्टे पीड़ित व्यक्ति के खिलाफ ही कार्रवाई कर दी। इस घटना ने आम जनता में आक्रोश पैदा कर दिया है और प्रशासन के रवैये पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
घटना 9 जून, सोमवार की शाम की है, जब पन्ना जिले के मोहरा टपरिया गांव निवासी महेंद्र सिंह लोधी अपनी गर्भवती पत्नी (जिनका नौवां महीना चल रहा था और पेट में तेज दर्द था) को लेकर रनेह के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। महेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि वहां पदस्थ स्टाफ नर्स नीलमा यादव से उन्होंने अपनी पत्नी का तत्काल चेकअप करने का अनुरोध किया, लेकिन नर्स ने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह अपने काम से बाहर जा रही हैं और अगले दिन आने को कहा।
महेंद्र सिंह के बार-बार अनुरोध करने पर, स्टाफ नर्स कथित तौर पर गुस्सा हो गईं और उन्होंने महेंद्र सिंह को वहां से चले जाने के लिए कहा और धमकी दी कि अगर वह नहीं गए तो वह उन्हें मारेंगी। महेंद्र सिंह ने जब शिकायत करने की बात कही, तो नर्स उन पर मारने के लिए दौड़ पड़ीं। डरकर महेंद्र सिंह अपनी पत्नी के साथ वहां से निकल गए और एक बस में बैठ गए जो उनके गांव की ओर जा रही थी।
चौंकाने वाली बात यह है कि महेंद्र सिंह के अनुसार, बस लगभग 1 किलोमीटर चली थी, तभी स्टाफ नर्स नीलमा यादव ने बस ड्राइवर को फोन करके बस रुकवाई। बस रुकते ही नर्स वहां पहुंचीं और महेंद्र सिंह के साथ कथित तौर पर मारपीट शुरू कर दी और उन्हें गंदी-गंदी गालियां दीं, जिसमें मां-बहन की गालियां भी शामिल थीं।
कुछ ही देर बाद पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। महेंद्र सिंह का आरोप है कि नीलमा यादव ने पुलिस से कुछ बात की और पुलिस ने उन्हें थाने ले जाकर रात भर पीटा और थाने में बंद रखा। अगले दिन, 10 जून को, उन पर धारा 151 के तहत मामला दर्ज कर जमानत पर रिहा किया गया।
इस घटना ने स्थानीय लोगों में भारी गुस्सा और चिंता पैदा कर दी है। एक ओर जहां एक स्वास्थ्यकर्मी पर अपने कर्तव्यों का पालन न करने और उसके बजाय मारपीट व दुर्व्यवहार करने का आरोप है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने पीड़ित व्यक्ति की शिकायत सुनने के बजाय उल्टे उसके खिलाफ ही कार्रवाई क्यों की। आम जनता मांग कर रही है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या महिला डॉक्टर की ‘पोल खुलने’ के डर से प्रशासन ने आम जनता पर ‘हावी’ होने की कोशिश की।
इस मामले में दमोह और पन्ना जिला प्रशासन से तत्काल स्पष्टीकरण और निष्पक्ष जांच की उम्मीद की जा रही है।