दमोह, मध्य प्रदेश: दमोह जिला जेल से एक चौंकाने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है,
जिसने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस वीडियो में गोकशी के आरोप में गिरफ्तार कुख्यात बदमाश कासिम जेल की सलाखों के पीछे टीशर्ट में दिखाई दे रहा है।
यह वीडियो कथित तौर पर मुलाकात के दौरान किसी बाहरी व्यक्ति द्वारा बनाया गया है,
जो जेल परिसर के अंदर मोबाइल फोन के इस्तेमाल और उसकी सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लगने का स्पष्ट संकेत है।
वायरल वीडियो और उसकी सामग्री:
वायरल वीडियो में कासिम सहज मुद्रा में दिख रहा है, मानों वह किसी सामान्य स्थान पर हो न कि एक उच्च-सुरक्षा वाली जेल में।
वीडियो की गुणवत्ता से प्रतीत होता है कि इसे आधुनिक स्मार्टफोन से रिकॉर्ड किया गया है, जो इस बात को रेखांकित करता है कि कैसे मोबाइल फोन जैसे प्रतिबंधित उपकरण जेल के भीतर आसानी से पहुंच गए हैं।
इस तरह के वीडियो का प्रसार न केवल जेल के अंदर की गतिविधियों को सार्वजनिक करता है, बल्कि अन्य अपराधियों को भी जेल के नियमों का उल्लंघन करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
यह घटना जेल अधिकारियों की ढीली निगरानी और संभावित मिलीभगत की ओर भी इशारा करती है।
शिकायत और पुलिस की प्रतिक्रिया:
इस गंभीर मामले पर समाजसेवी नित्या प्यासी ने तत्काल संज्ञान लिया और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
उन्होंने अपनी शिकायत में स्पष्ट रूप से कहा है कि जेल जैसी संवेदनशील जगह से इस तरह के वीडियो का इंटरनेट पर फैलना अत्यंत चिंताजनक है
और यह कानून-व्यवस्था के लिए खतरा है। प्यासी ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे वीडियो न केवल जेल की छवि को धूमिल करते हैं, बल्कि जनता के मन में भी सुरक्षा व्यवस्था के प्रति अविश्वास पैदा करते हैं।
जिला जेल अधीक्षक एन.पी. प्रजापति ने शिकायत मिलने की पुष्टि की है और आश्वासन दिया है कि मामले की गहन जांच की जाएगी।
उन्होंने कहा कि दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति, चाहे वह कैदी हो या जेलकर्मी, के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रजापति के अनुसार, जांच का उद्देश्य यह पता लगाना है कि वीडियो कब और कैसे बनाया गया, इसे किसने बनाया, और इसे प्रसारित करने में कौन-कौन शामिल था।
कासिम का आपराधिक इतिहास और चिंताएं:
कासिम एक ऐसा अपराधी है जिसका लंबा और गंभीर आपराधिक इतिहास रहा है। उसे गोकशी के एक मामले में पकड़ा गया था, और गिरफ्तारी के दौरान उसने पुलिस पर गोली भी चलाई थी।
जबलपुर नाका पुलिस के साथ मुठभेड़ में उसके पैर में गोली लगी थी,
और जबलपुर नाका प्रभारी को भी गोली कासिम द्वारा गोली मारी जो उसकी आपराधिक प्रवृत्ति को दर्शाता है।
ऐसे कुख्यात अपराधी का जेल के अंदर से इस तरह का वीडियो बनाना और उसे सार्वजनिक करना जेल प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है।
यह घटना कई महत्वपूर्ण प्रश्न उठाती है:
* जेल सुरक्षा में सेंध: जेल के अंदर मोबाइल फोन जैसे प्रतिबंधित उपकरण कैसे पहुंचे? क्या नियमित तलाशी अभियान प्रभावी नहीं हैं?
* कर्मचारियों की मिलीभगत: क्या जेल के कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना यह संभव था? यदि ऐसा है, तो ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी?
* कानून-व्यवस्था पर प्रभाव: ऐसे वीडियो का प्रसार अपराधियों के मनोबल को बढ़ा सकता है और समाज में गलत संदेश भेज सकता है कि जेल में भी वे अपनी मनमानी कर सकते हैं।
* कैदी निगरानी: कुख्यात अपराधियों की निगरानी के लिए क्या विशेष प्रोटोकॉल हैं, और उनका पालन क्यों नहीं किया जा रहा है?
यह घटना दमोह ही नहीं, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश में जेलों की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की मांग करती है।
ऐसी घटनाएं न केवल कानून का मज़ाक उड़ाती हैं, बल्कि जेलों को सुधार गृह बनाने के उद्देश्य को भी कमजोर करती हैं।
पुलिस और जेल प्रशासन को इस मामले में त्वरित और पारदर्शी कार्रवाई करनी होगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके और जनता का विश्वास बहाल हो सके।