*आधार पर फर्जी जन्म प्रमाण पत्रों से जुड़े मामले की पूरी रिपोर्ट*
*फर्जी जन्म प्रमाण पत्रों की आपराधिक जांच के लिए अपर कलेक्टर का पुलिस अधीक्षक को पत्र*
दमोह में फर्जी जन्म प्रमाण पत्रों के मामले में अपर कलेक्टर मीना मसराम ने पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर इस पूरे प्रकरण की आपराधिक दृष्टि से जांच कराने और न्याय संगत धाराओं में मामला दर्ज करने का आग्रह किया है।
सिविल सर्जन की रिपोर्ट: प्रमाण पत्र फर्जी और गैर-पंजीकृत
पुलिस अधीक्षक को लिखे गए पत्र में यह बताया गया है कि सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक, जिला चिकित्सालय दमोह ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि तीन जन्म प्रमाण पत्र पूरी तरह से फर्जी हैं। ये प्रमाण पत्र रजिस्ट्रार जन्म-मृत्यु विभाग, जिला चिकित्सालय दमोह की पदमुद्रा से जारी नहीं किए गए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि ये प्रमाण पत्र किसी साइबर कैफे के माध्यम से धोखाधड़ी करके जारी किए गए हैं और जिला चिकित्सालय दमोह के पंजीकरण रजिस्टर और ऑनलाइन डेटाबेस में भी दर्ज नहीं हैं।
उल्लंघन और दण्डनीय अपराध
इन फर्जी प्रमाण पत्रों को जारी करके कैफे द्वारा 1969 की धारा 12/17 का उल्लंघन किया जा रहा है। इस पूरे प्रकरण में प्रथम दृष्टया भारतीय न्याय संहिता 2023 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 का उल्लंघन परिलक्षित होता है, जो कि एक दंडनीय अपराध है।
मामले का खुलासा: बारेलाल रजक की शिकायत
यह मामला 1 जुलाई को जनसुनवाई में सामने आया, जब बारेलाल रजक ने एक आवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि वे 15 बार आधार कार्ड के लिए आवेदन कर चुके हैं, लेकिन उनके आवेदन हर बार अस्वीकृत हो जाते हैं। उन्होंने अपने आवेदन के साथ तीन जन्म प्रमाण पत्र और तीन आधार पंजीकरण रसीदें भी प्रस्तुत की थीं। कार्यालय योजना एवं सांख्यिकी विभाग द्वारा जांच करने पर तीनों जन्म प्रमाण पत्र गलत पाए गए, जिसके बाद इस पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।