**”मऊगंज में तस्करी का जाल: बेरोजगारी ने युवाओं को बना दिया नशा तस्कर, मां-बाप की आंखों में आंसू और सिस्टम खामोश”**
मऊगंज जिले में कोरेक्स सिरप, गांजा और अवैध शराब की तस्करी का जाल गांव-गांव में फैल चुका है।
कार्रवाई के नाम पर कभी-कभार बाहर से आए तस्करों को पकड़ कर वाहवाही लूटी जाती है, लेकिन स्थानीय स्तर पर फल-फूल रही तस्करी पर पुलिस की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है।
गांवों की सच्चाई यह है कि यहां **18 से 30 साल तक की उम्र के बेरोजगार युवक** धीरे-धीरे नशे के धंधे में घुसते जा रहे हैं। किसी का लाल गांजा बेच रहा है, तो कोई कोरेक्स की सप्लाई कर रहा है। नशा करने और बेचने वाले ये युवा न सिर्फ खुद को खो रहे हैं, बल्कि उनके माता-पिता **मठ पकड़कर ऐसे रोते हैं जैसे किसी ने उनका बेटा छीन लिया हो।**
हालत यह है कि कुछ गांवों में तो **मांओं के आँसू और बाप की खामोशी ही सिस्टम की विफलता का आईना बन गई है।**
सूत्रों की मानें तो कार्रवाई हो रही है, लेकिन वह या तो दिखावटी है या सीमित। थानों में महीनवारी की लूट है, और नतीजतन कार्रवाई किसी खास दिशा में होती ही नहीं।
पुलिस प्रशासन वीडियो वायरल होने पर हरकत में आता है, बाकी वक्त चुप्पी ओढ़े बैठा रहता है। जन चौपाल जैसे आयोजनों में जब पत्रकार सवाल करते हैं कि “आखिर वायरल वीडियो पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?”
तो अधिकारी किनारा कर लेते हैं। सवाल पूछने वालों को निशाना बनाया जाता है।
अब सवाल ये है कि जब पत्रकार ही सुरक्षित नहीं, तो आम जनता की हिफाजत कौन करेगा?
**क्या थानों में बैठे अफसर सिर्फ लेन-देन और हफ्तावसूली के लिए नियुक्त किए गए हैं?** मऊगंज जिले के अंदरूनी गांवों में नशीली दवाएं, कोरेक्स, गांजा और अवैध शराब का खुला कारोबार हो रहा है। मेडिकल स्टोर बिना पर्ची के नशीली सिरप बेच रहे हैं।
**लेकिन कार्रवाई केवल उन्हीं पर हो रही है जो बाहर से आए हैं – क्या यह किसी ‘साठगांठ’ का संकेत नहीं है?**
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल से यह सीधा सवाल है —
**क्या मऊगंज जिले के गांव-गांव में नशे से बर्बाद हो रहे युवाओं और रोते माता-पिता की चीखें भी सरकार के कानों तक पहुंच रही हैं?**
या फिर प्रशासन तब तक सोता रहेगा जब तक कोई वीडियो वायरल न हो जाए या कोई दर्दनाक हादसा न हो जाए?
** जिला सतना से दीपक गुप्ता की रिपोर्ट**