दमोह जिले की पटेरा जनपद पंचायत में एक बड़ा विवाद सामने आया है,
जिसमें जनपद पंचायत के सीईओ हालदार मिश्रा ने जनपद सदस्य राजेश पटेल और एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।
इस एफआईआर में राजेश पटेल पर कार्यालय में तोड़फोड़, गाली-गलौज और बैटरी चोरी जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
अधिकारियों का संदिग्ध रवैया
इस घटना के बाद अधिकारियों का रवैया सवालों के घेरे में है। मीडिया ने जब हंगामे की वजह पूछी, तो जनपद में पीपीओ के पद पर कार्यरत अंगद सिंह लोधी ने जवाब देने से साफ इनकार कर दिया और कहा कि “वजह गोपनीय है”।
उनके इस बयान से मामले की गंभीरता और भी बढ़ गई है, जिससे यह संकेत मिलता है कि कुछ ऐसा है जिसे छिपाने की कोशिश की जा रही है।
राजेश पटेल का पलटवार और घोटाले का आरोप
वहीं, आरोपी बनाए गए जनपद सदस्य और जनपद पंचायत उपाध्यक्ष राजेश पटेल ने एक वीडियो जारी कर खुद को निर्दोष बताया है।
उन्होंने अधिकारियों पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। राजेश पटेल का दावा है कि मनरेगा मद के तहत आए लगभग 2.50 करोड़ रुपये को चार ठेकेदारों के बीच बांट दिया गया,
जबकि यह राशि वास्तव में हितग्राही मूलक योजनाओं के लिए थी।
राजेश पटेल का आरोप है कि जब उन्होंने इस भ्रष्टाचार का विरोध किया, तो अधिकारियों ने मिलकर उनके खिलाफ झूठा केस दर्ज करा दिया। उनका कहना है कि वह जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि हैं और जनता के हक की बात करना उनका अधिकार है।
घोटाले की आशंका और जांच की मांग
दोनों पक्षों के इन आरोप-प्रत्यारोपों के बाद, पटेरा जनपद पंचायत में अब एक बड़े घोटाले की आशंका गहरा गई है। जनता और कई सामाजिक संगठन इस पूरे मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं ताकि सच्चाई सामने आ सके।
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी निष्पक्ष जांच करता है, या यह मामला सिर्फ एफआईआर और बयानबाजी तक ही सीमित रह जाएगा।