श्री राम गौशाला के लिए मुरम ले जाने के दौरान हुई घटना को लेकर ठेकेदार भरत पटेल ने अपना पक्ष रखा है. उन्होंने इस पूरी घटना के लिए संगठन कार्यकर्ताओं और पत्रकार उपेंद्र प्यासी को दोषी ठहराया है.
ठेकेदार भरत पटेल का पक्ष
पटेल के अनुसार, वह जनसहयोग और सनातन धर्म के कार्य के लिए श्री राम गौशाला में मुरम डलवाने जा रहे थे. इसी दौरान कुछ संगठन कार्यकर्ताओं ने उनकी गाड़ियों की चाबियां छीन लीं और उनके ड्राइवर के साथ मारपीट की. जब भरत पटेल मौके पर पहुँचे, तो उनके साथ भी गाली-गलौज की गई, उनकी गाड़ी का शीशा तोड़ दिया गया और उन पर हमला भी किया गया.
अपनी जान बचाने के लिए उन्होंने गाड़ी रिवर्स की और लगभग 400 मीटर तक पीछे हटे. इसी दौरान एक गौ माता का बछड़ा उनकी गाड़ी से टकरा गया और उसकी मौत हो गई. पटेल का कहना है कि गौ बछड़े की मौत में संगठन के लोग भी बराबर के दोषी हैं, क्योंकि वे गौ सेवा के नेक काम में बाधा डाल रहे थे.
उपेंद्र प्यासी पर गंभीर आरोप
भरत पटेल ने उपेंद्र प्यासी, जो खुद को पत्रकार बताते हैं, उन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. पटेल का कहना है कि उपेंद्र प्यासी संगठन के दलबल के साथ कवरेज के लिए आते हैं और संगठन की आड़ में गलत काम करते हैं. पटेल ने यह भी कहा कि यदि वे सच्चे सनातन हिंदू होते तो गौशाला में मुरम डालने का विरोध नहीं करते. उन्होंने आरोप लगाया कि उपेंद्र प्यासी और उनके संगठन के लोग गौ माता की सेवा के नाम पर अपनी जेब से पैसा लगाने के बजाय गौ सेवा में बाधा डाल रहे हैं.
पटेल ने यह भी कहा कि उपेंद्र प्यासी को यह भी नहीं पता कि किसी के कपड़ों के फिंगरप्रिंट लिए जा सकते हैं या नहीं. उन्होंने आरोप लगाया कि उपेंद्र प्यासी और उनके लोग संगठन के नाम पर काले धंधे कर रहे हैं और जय माता संगठन को बदनाम कर रहे हैं.
प्रशासन से जांच की मांग और पटेल का खुद को जनसेवक बताना
पटेल ने बताया कि घटना स्थल पर तहसीलदार और पुलिस के पहुँचने के बाद भी उनके संगठन के लोगों ने उन पर लाठीचार्ज किया.
भरत पटेल ने प्रशासन से आग्रह किया है कि गौशाला में डाली गई मुरम की जांच कराई जाए. उन्होंने खुद को जनसेवक, सनातन हिंदू और ठेकेदार बताया और कहा कि उनका गौ सेवा में कोई स्वार्थ नहीं था, वे केवल सहयोग की भावना से काम कर रहे थे.
उन्होंने इस घटना पर खेद व्यक्त किया और ऐसे लोगों के प्रति निराशा व्यक्त की जो खुद को संगठन का सेवक बताते हुए भी गलत काम करते हैं.