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*मिशन अस्पताल फर्जी डॉक्टर और कैथलैब मामले में NHRC की रिपोर्ट* *बड़े खुलासे और सख्त निर्देश*

*मिशन अस्पताल फर्जी डॉक्टर और कैथलैब मामले में NHRC की रिपोर्ट*

*बड़े खुलासे और सख्त निर्देश*

मिशन अस्पताल दमोह में फर्जी डॉक्टरों और अवैध कैथलैब के संचालन के बहुचर्चित मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की जांच रिपोर्ट आ गई है। इस रिपोर्ट ने अस्पताल में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े की पुष्टि की है और कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:

* फर्जी डॉक्टर और कैथलैब की पुष्टि: NHRC की जांच में यह सिद्ध हो गया है कि मिशन अस्पताल में फर्जी डॉक्टर कार्यरत थे और एक कैथलैब अवैध रूप से संचालित हो रहा था।
* दमोह पुलिस और CMHO की भूमिका पर सवाल: रिपोर्ट में इस पूरे मामले की जांच और कार्रवाई में दमोह पुलिस और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
* सात मौतों पर एक FIR नियमों के विरुद्ध: रिपोर्ट में कहा गया है कि सात मौतों के बावजूद केवल एक एफआईआर और वह भी सामान्य धाराओं में दर्ज करना नियमों के विरुद्ध था।
* मिशनरी अजय लाल की संलिप्तता: जांच रिपोर्ट में मिशनरी अजय लाल के भी मिशन अस्पताल प्रबंधन से जुड़े होने की पुष्टि हुई है।
* आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा: आयुष्यमान योजना में भी लापरवाही और फर्जीवाड़ा सामने आया है।

NHRC की अनुशंसाएं और निर्देश:

* सात अलग-अलग FIR दर्ज करने के निर्देश: NHRC ने इस मामले में सात अलग-अलग एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा की है।
* विदेशी फंडिंग और EOW जांच: रिपोर्ट में मिशन अस्पताल की विदेशी फंडिंग की जांच करने और पूरे फर्जीवाड़े की जांच आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को सौंपने की भी अनुशंसा की गई है।
* पूर्व CMHO डॉ. जैन पर प्रशासनिक जांच: पूर्व CMHO डॉ. जैन पर प्रशासनिक जांच के निर्देश दिए गए हैं।
* मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख की सहायता: NHRC ने मामले में मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये की सहायता राशि दिए जाने के निर्देश दिए हैं।
* शिकायतकर्ताओं को सुरक्षा: शिकायतकर्ता एडवोकेट दीपक तिवारी और कृष्ण पटेल को व्हिसलब्लोअर एक्ट के तहत सुरक्षा प्रदान किए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
* अन्य विभागों को भी निर्देश: अन्य संबंधित विभागों को भी इस मामले में कार्यवाही के निर्देश जारी किए गए हैं।

यह रिपोर्ट दमोह के मिशन अस्पताल में चल रहे बड़े पैमाने पर अनियमितताओं और सरकारी तंत्र की ढिलाई को उजागर करती है। NHRC के इन कड़े निर्देशों से उम्मीद है कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी और पीड़ितों को न्याय मिल पाएगा।

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