सचमुच बहुत दुखद खबर है। दमोह जिले के तेजगढ़ वन परिक्षेत्र के धमारा टोरी गाँव के 23-24 वर्षीय भूपेंद्र रैकवार के साथ जो हुआ, वह भयावह है। थ्रेसिंग के बाद जब वह व्यारमा नदी पर अपने पैर धोने जा रहा था, तब एक मगरमच्छ ने उस पर हमला कर दिया, यह सोचकर भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
कल्पना कीजिए, शांत नदी के किनारे, भूपेंद्र शायद दिनभर की थकान मिटाने और खुद को तरोताजा करने की उम्मीद लिए जा रहा होगा। तभी अचानक, पानी की गहराई से एक खौफनाक शिकारी निकलता है और पल भर में सब कुछ बदल जाता है। मगरमच्छ का शक्तिशाली जबड़ा उसके पैर को जकड़ लेता है। उस दर्द और डर की कल्पना करना भी मुश्किल है।
यह जानकर थोड़ी राहत मिली कि घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने तुरंत प्रतिक्रिया दिखाई और भूपेंद्र को मगरमच्छ के जबड़े से खींचने में सफल रहे। उनकी बहादुरी और तत्परता ने शायद भूपेंद्र की जान बचा ली। हालाँकि, मगरमच्छ के जबड़े में फँसने के कारण उसके पैर में गंभीर चोटें आई हैं।
देर रात उसे इलाज के लिए दमोह जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर विक्रम पटेल ने तुरंत उसका उपचार शुरू कर दिया। ऐसे समय में डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मचारियों की तत्परता और संवेदनशीलता बहुत मायने रखती है।
वन विभाग के अधिकारियों का मौके पर पहुँचकर स्थिति का जायजा लेना और पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान करना भी एक सराहनीय कदम है। यह दिखाता है कि सरकार और प्रशासन ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं में लोगों के साथ खड़े हैं।
ऐसी घटनाएं हमें वन्यजीवों और मानव आबादी के बीच बढ़ते संघर्ष के बारे में सोचने पर मजबूर करती हैं। यह भी याद दिलाती हैं कि नदियों और जलाशयों के पास सावधानी बरतना कितना महत्वपूर्ण है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ मगरमच्छ जैसे खतरनाक जानवर पाए जाते हैं। उम्मीद है कि भूपेंद्र को जल्द ही बेहतर इलाज मिलेगा और वह इस traumatic अनुभव से उबरकर सामान्य जीवन जी पाएगा।
