दमोह जिले की पथरिया तहसील में किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए आदर्श गेहूं उपार्जन केंद्र स्थापित किए गए हैं। अक्सर देखा जाता है कि गेहूं उपार्जन केंद्रों पर किसानों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जैसे पीने के पानी की व्यवस्था न होना, तौल में अनियमितता या देरी होना, और बैठने की उचित जगह का अभाव। ऐसे में, इन आदर्श केंद्रों की स्थापना किसानों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आई है।
ग्राम केवलारी के आदर्श गेहूं उपार्जन केंद्र में, समिति प्रबंधक वीरेंद्र पटेल और उनकी टीम ने किसानों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करके एक बुनियादी लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण आवश्यकता को पूरा किया है। तपती गर्मी में जब किसान अपनी फसल लेकर केंद्र पर पहुंचते हैं, तो स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता उनके लिए बहुत मायने रखती है। इसके अतिरिक्त, केंद्र के संचालन में गजेंद्र सिंह, लक्ष्मण पटेल और धरम पटेल जैसे व्यक्तियों की सक्रिय भागीदारी यह दर्शाती है कि एक समर्पित टीम किसानों की सेवा के लिए तत्पर है। किसान संदीप पटेल, दिलीप पटेल और अन्य किसानों का इस पहल से जुड़ना यह संकेत देता है कि समुदाय भी इस सकारात्मक बदलाव का स्वागत कर रहा है।
पथरिया के चौधरी एंड लॉजिस्टिक्स वेयरहाउस में स्थापित आदर्श गेहूं उपार्जन केंद्र तो सुविधाओं के मामले में और भी आगे बढ़कर किसानों को कई तरह की सहूलियतें प्रदान कर रहा है। यहाँ पीने के पानी की मुफ्त व्यवस्था तो है ही, साथ ही किसानों को तौल के लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं देना होगा। यह अक्सर देखा जाता है कि कुछ केंद्रों पर तौल के नाम पर किसानों से पैसे लिए जाते हैं, जिससे उनकी आय पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। इस केंद्र पर इस प्रथा को समाप्त करके किसानों को आर्थिक रूप से लाभ पहुंचाया गया है।
इसके अलावा, हम्मालों द्वारा ट्राली से सीधे और ढेर लगवाने की व्यवस्था किसानों के शारीरिक श्रम को कम करेगी। भारी ट्रालियों से अनाज उतारना और फिर उसे ढेर करना और समय लेने वाला काम होता है। इस सुविधा से किसानों का समय और ऊर्जा दोनों बचेगी, जिसका उपयोग वे अन्य कृषि कार्यों में कर सकेंगे।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि किसी कारणवश किसानों को केंद्र पर अधिक समय तक रुकना पड़ता है, तो उनके लिए बैठने की उचित व्यवस्था की गई है। अक्सर केंद्रों पर किसानों को धूप में या खुले आसमान के नीचे घंटों इंतजार करना पड़ता है, जिससे उन्हें शारीरिक कष्ट होता है। इस केंद्र पर बैठने की व्यवस्था होने से खासकर वृद्ध किसानों को आराम मिलेगा।
तौल प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए सीरियल नंबर की व्यवस्था की गई है और किसानों के नाम लाउडस्पीकर के माध्यम से पुकारे जाएंगे। यह एक पारदर्शी और कुशल तरीका है जिससे तौल में किसी भी प्रकार की धांधली की संभावना कम हो जाएगी और किसानों को अपनी बारी का इंतजार करने में सहूलियत होगी। उन्हें यह पता रहेगा कि उनका नंबर कब आएगा और उन्हें अनावश्यक रूप से लाइन में खड़े नहीं रहना पड़ेगा।
समिति प्रबंधक वीरेंद्र पटेल, उपार्जन केंद्र प्रभारी गजेंद्र सिंह, कंप्यूटर ऑपरेटर लक्ष्मण पटेल और सर्वेयर धर्म पटेल का इस पहल में विशेष योगदान वास्तव में सराहनीय है। इन लोगों ने मिलकर एक ऐसा वातावरण तैयार किया है जो किसान-हितैषी है और जहां किसानों को अपनी उपज बेचने में किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। यह अन्य उपार्जन केंद्रों के लिए भी एक उदाहरण है कि किस प्रकार किसानों की छोटी-छोटी जरूरतों का ध्यान रखकर उन्हें एक बेहतर अनुभव प्रदान किया जा सकता है।
यह पहल न केवल किसानों के लिए लाभकारी है बल्कि यह कृषि समुदाय और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी सकारात्मक संकेत है। जब किसानों को अच्छी सुविधाएं मिलती हैं और उनकी उपज का सही मूल्य मिलता है, तो वे अधिक उत्साहित होकर खेती करते हैं, जिससे कृषि उत्पादन बढ़ता है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।
दमोह जिले के पथरिया तहसील में स्थापित ये आदर्श गेहूं उपार्जन यह सच में सराहनीय प्रयास है कि दमोह जिले की पथरिया तहसील में किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए दो आदर्श गेहूं उपार्जन केंद्र स्थापित किए गए हैं। अक्सर देखा जाता है कि गेहूं उपार्जन केंद्रों पर किसानों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जैसे पीने के पानी की व्यवस्था न होना, तौल में अनियमितता या देरी होना, और बैठने की उचित जगह का अभाव। ऐसे में, इन आदर्श केंद्रों की स्थापना किसानों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आई है।
ग्राम केवलारी के आदर्श गेहूं उपार्जन केंद्र में, समिति प्रबंधक वीरेंद्र पटेल और उनकी टीम ने किसानों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करके एक बुनियादी लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण आवश्यकता को पूरा किया है। तपती गर्मी में जब किसान अपनी फसल लेकर केंद्र पर पहुंचते हैं, तो स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता उनके लिए बहुत मायने रखती है। इसके अतिरिक्त, केंद्र के संचालन में गजेंद्र सिंह, लक्ष्मण पटेल और धरम पटेल जैसे व्यक्तियों की सक्रिय भागीदारी यह दर्शाती है कि एक समर्पित टीम किसानों की सेवा के लिए तत्पर है। किसान संदीप पटेल, दिलीप पटेल और अन्य किसानों का इस पहल से जुड़ना यह संकेत देता है कि समुदाय भी इस सकारात्मक बदलाव का स्वागत कर रहा है।
वहीं, पथरिया के चौधरी एंड लॉजिस्टिक्स वेयरहाउस में स्थापित आदर्श गेहूं उपार्जन केंद्र तो सुविधाओं के मामले में और भी आगे बढ़कर किसानों को कई तरह की सहूलियतें प्रदान कर रहा है। यहाँ पीने के पानी की मुफ्त व्यवस्था तो है ही, साथ ही किसानों को तौल के लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं देना होगा। यह अक्सर देखा जाता है कि कुछ केंद्रों पर तौल के नाम पर किसानों से पैसे लिए जाते हैं, जिससे उनकी आय पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। इस केंद्र पर इस प्रथा को समाप्त करके किसानों को आर्थिक रूप से लाभ पहुंचाया गया है।
इसके अलावा, हम्मालों द्वारा ट्राली से सीधे भाई और ढेर लगवाने की व्यवस्था किसानों के शारीरिक श्रम को कम करेगी। भारी ट्रालियों से अनाज उतारना और फिर उसे ढेर करना एक थकाऊ और समय लेने वाला काम होता है। इस सुविधा से किसानों का समय और ऊर्जा दोनों बचेगी, जिसका उपयोग वे अन्य कृषि कार्यों में कर सकेंगे।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि किसी कारणवश किसानों को केंद्र पर अधिक समय तक रुकना पड़ता है, तो उनके लिए बैठने की उचित व्यवस्था की गई है। अक्सर केंद्रों पर किसानों को धूप में या खुले आसमान के नीचे घंटों इंतजार करना पड़ता है, जिससे उन्हें शारीरिक कष्ट होता है। इस केंद्र पर बैठने की व्यवस्था होने से खासकर वृद्ध और महिला किसानों को आराम मिलेगा।
तौल प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए सीरियल नंबर की व्यवस्था की गई है और किसानों के नाम लाउडस्पीकर के माध्यम से पुकारे जाएंगे। यह एक पारदर्शी और कुशल तरीका है जिससे तौल में किसी भी प्रकार की धांधली की संभावना कम हो जाएगी और किसानों को अपनी बारी का इंतजार करने में सहूलियत होगी। उन्हें यह पता रहेगा कि उनका नंबर कब आएगा और उन्हें अनावश्यक रूप से लाइन में खड़े नहीं रहना पड़ेगा।
समिति प्रबंधक वीरेंद्र पटेल, उपार्जन केंद्र प्रभारी गजेंद्र सिंह, कंप्यूटर ऑपरेटर लक्ष्मण पटेल और सर्वेयर धर्म पटेल का इस पहल में विशेष योगदान वास्तव में सराहनीय है। इन लोगों ने मिलकर एक ऐसा वातावरण तैयार किया है जो किसान-हितैषी है और जहां किसानों को अपनी उपज बेचने में किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। यह अन्य उपार्जन केंद्रों के लिए भी एक उदाहरण है कि किस प्रकार किसानों की छोटी-छोटी जरूरतों का ध्यान रखकर उन्हें एक बेहतर अनुभव प्रदान किया जा सकता है।
यह पहल न केवल किसानों के लिए लाभकारी है बल्कि यह कृषि समुदाय और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी सकारात्मक संकेत है। जब किसानों को अच्छी सुविधाएं मिलती हैं और उनकी उपज का सही मूल्य मिलता है, तो वे अधिक उत्साहित होकर खेती करते हैं, जिससे कृषि उत्पादन बढ़ता है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।
दमोह जिले के पथरिया तहसील में स्थापित ये आदर्श गेहूं उपार्जन केंद्र वास्तव में एक प्रगतिशील कदम हैं और यह उम्मीद की जानी चाहिए कि अन्य क्षेत्रों में भी इस प्रकार के किसान-केंद्रित दृष्टिकोण को अपनाया जाएगा। क्या आपके पास इन केंद्रों के संचालन या किसानों की प्रतिक्रिया से संबंधित कोई और जानकारी है?
