दमोह के पथरिया नगर स्थित आदिनाथ पैथोलॉजी सेंटर पर स्वास्थ्य एवं राजस्व विभाग की संयुक्त छापेमारी ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटनाक्रम इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि पिछले वर्ष भी इसी पैथोलॉजी लैब पर अनियमितताओं के आरोप लगे थे और छापा मारा गया था, फिर भी लैब का संचालन निर्बाध रूप से जारी रहा। इस पृष्ठभूमि में, वर्तमान छापेमारी में संदेहास्पद मशीनों का मिलना स्थिति की गंभीरता को और बढ़ाता है।
संदेहास्पद मशीनों की उपस्थिति कई आशंकाओं को जन्म देती है। क्या ये मशीनें नैदानिक प्रक्रियाओं के लिए निर्धारित मानकों का उल्लंघन कर रही थीं? क्या इनके द्वारा जारी की जा रही रिपोर्टें मरीजों के स्वास्थ्य के लिए जोखिम उत्पन्न कर सकती थीं? क्या इन मशीनों का उपयोग किसी गैरकानूनी या अनैतिक गतिविधि में किया जा रहा था? इन सवालों का जवाब स्वास्थ्य और राजस्व विभाग की गहन जांच के बाद ही मिल पाएगा।
पिछली कार्रवाई के बावजूद पैथोलॉजी लैब का लगातार चलते रहना प्रशासनिक तंत्र पर भी सवाल उठाता है। क्या पिछली कार्रवाई पर्याप्त नहीं थी? क्या कोई चूक हुई जिसके कारण लैब अपना संचालन जारी रखने में सफल रहा? इस बार, प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि कार्रवाई केवल एक औपचारिकता बनकर न रह जाए, बल्कि इसका ठोस और स्थायी परिणाम निकले। यदि जांच में अनियमितताएं पाई जाती हैं, तो न केवल पैथोलॉजी लैब को बंद किया जाना चाहिए, बल्कि जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
यह मामला न केवल पथरिया नगर बल्कि पूरे दमोह जिले के स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है। लोगों का स्वास्थ्य सेवाओं पर विश्वास बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि प्रशासन इस मामले में पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ कार्रवाई करे और जनता को इसकी प्रगति से अवगत कराए। अब यह देखना होगा कि इस बार की कार्रवाई पिछली बार से कितनी अलग होती है और क्या यह वास्तव में आदिनाथ पैथोलॉजी सेंटर के संचालन पर पूर्ण विराम लगा पाती है या नहीं। यह न केवल एक पैथोलॉजी लैब के भविष्य का सवाल है, बल्कि यह क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता का भी सवाल है। क्या इस क्षेत्र में और भी पैथोलॉजी अवैध तरीके से चल रही हैं इसकी भी प्रशासन को जांच करनी चाहिए l
