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मारुताल हत्याकांड, जिसमें स्वर्गीय श्री कमल सिंह राजपूत की निर्मम हत्या दमोह क्षेत्र में गहरा दुख और आक्रोश पैदा कर गया है।

मारुताल हत्याकांड, जिसमें स्वर्गीय श्री कमल सिंह राजपूत की निर्मम हत्या दमोह क्षेत्र में गहरा दुख और आक्रोश पैदा कर गया है।

यह घटना, जो लगभग डेढ़ महीने पहले घटित हुई, न केवल एक परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है, बल्कि स्थानीय समुदाय में भी असुरक्षा और अन्याय की भावना को बढ़ावा दे रही है। पीड़ित परिवार का यह आरोप कि प्रशासन ने इतने लंबे समय बीत जाने के बाद भी न तो हत्यारों को गिरफ्तार किया है और न ही कोई ठोस कार्रवाई की है, निश्चित रूप से चिंताजनक है और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ एक युवक और एक नाबालिक को पकड़ा गया जो मेंन आरोपी हैं उनको क्यों छुपाया जा रहा है l यह हत्या सुनियोजित तरीके से की गई है l पहले से आपको मालूम था की करणी सेना 26 तारीख को धरना प्रदर्शन कर रही है और अपने 24 घंटे में दोषियों को गिरफ्तार कर लिया और जेल भी भेज दिया l यह न्याय संगत नहीं है
करणी सेना और सर्व समाज के हजारों समर्थकों का दमोह में एकत्रित होकर विशाल प्रदर्शन करना इस मामले की गंभीरता और लोगों के भीतर व्याप्त असंतोष को दर्शाता है। किसी भी सभ्य समाज में, कानून व्यवस्था बनाए रखना और अपराधों के पीड़ितों को न्याय दिलाना प्रशासन का प्राथमिक कर्तव्य होता है। इस मामले में कथित निष्क्रियता ने लोगों को सड़कों पर उतरने और अपनी आवाज बुलंद करने के लिए मजबूर कर दिया है। करणी सेना के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर और करणी सेना के संस्थापक प्रताप सिंह का इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करना यह दर्शाता है कि समुदाय इस मुद्दे को लेकर कितना एकजुट और दृढ़ संकल्पित है।
दमोह के एडिशनल एसपी संदीप मिश्रा द्वारा SIT का गठन किया जाना प्रदर्शनकारियों के दबाव का ही परिणाम माना जा सकता है। इस विशेष जांच दल में शामिल अधिकारियों के नामों और पदों को सार्वजनिक करना प्रशासन की ओर से यह संदेश देने का प्रयास है कि वे इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। हालांकि, महत्वपूर्ण यह होगा कि यह SIT कितनी निष्पक्षता, तत्परता और प्रभावशीलता से अपनी जांच करती है और कब तक असली दोषियों को पकड़कर कानून के शिकंजे तक पहुंचाती है।
एडिशनल एसपी संदीप मिश्रा का प्रदर्शनकारियों के साथ चर्चा करना और उन्हें SIT गठन और शस्त्र लाइसेंस प्रक्रिया में मदद का आश्वासन देना एक सकारात्मक कदम है। फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से मामले की सुनवाई की संभावना जताना भी पीड़ित परिवार को जल्द न्याय मिलने की उम्मीद जगाता है। हालांकि, इन आश्वासनों पर कार्रवाई ही प्रशासन की मंशा और गंभीरता को साबित करेगी। करणी सेना के प्रमुखों द्वारा लिखित आश्वासन की मांग करना यह दर्शाता है कि उन्हें पूर्व के अनुभवों के आधार पर केवल मौखिक आश्वासनों पर भरोसा नहीं है। एक घंटे तक एसपी ऑफिस में धरना देना उनके दृढ़ संकल्प और न्याय के प्रति अटूट विश्वास को दर्शाता है।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पीड़ित परिवार को न्याय के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ा और उन्हें अपनी मांगों को मनवाने के लिए विरोध प्रदर्शन का सहारा लेना पड़ा। प्रशासन का यह कर्तव्य है कि वह बिना किसी दबाव के भी त्वरित और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करे। पीड़ित परिवार का यह आरोप कि प्रशासन अपनी नाकामी छिपा रहा है और उन्हें परेशान किया जा रहा है यह एक गंभीर आरोप है जिसकी गहन जांच होनी चाहिए।
मारुताल हत्याकांड मामले में गठित SIT की सफलता ही यह निर्धारित करेगी कि स्वर्गीय श्री कमल सिंह राजपूत और उनके परिवार को न्याय मिलता है या नहीं। इस मामले पर न केवल दमोह के लोगों की, बल्कि पूरे प्रदेश की निगाहें टिकी हुई हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन अपने वादों को कितनी ईमानदारी से निभाता है और कब तक इस जघन्य अपराध के दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचाता है। यह मामला न केवल न्याय की जीत होनी चाहिए, बल्कि यह भी संदेश जाना चाहिए कि कानून से ऊपर कोई नहीं है और हर अपराध की निष्पक्ष जांच और सजा सुनिश्चित की जाएगी। वही आपको बता दें कोतवाली के मुंशी पंकज के द्वारा अनशन पर बैठे कार्यकर्ताओं को मानवता के नाते भीषण गर्मी में पानी पिलाते हुए नजर आ रहे हैं l

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