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दमोह के कुम्हारी ग्राम जमुनिया निवासी वीरेंद्र दुबे को दो पत्रकारों के द्वारा डरा धमका कर झूठ सरपंच के खिलाफ बुलवाया गया और वीडियो बनाई गई जिससे मैं आहत हूं

दमोह/कुम्हारी ग्राम जमुनिया निवासी वीरेंद्र दुबे उम्र 34 वर्ष बीते बुधवार, 7 मई 2025 को दोपहर लगभग 2 बजे, वह अपने गाँव में स्थित खेर माता मंदिर के चबूतरे पर बैठे हुए थे। उसी समय, देवडोगरा के रहने वाले एक पत्रकार, जिनके साथ दमोह के एक ठाकुर पत्रकार और उनके दो अन्य साथी भी थे, वहाँ पहुँचे। दुबे ने बताया कि उनमें से पाठक जी को वह थोड़ा बहुत पहचानते थे। पाठक जी ने ही उस सोनू ठाकुर पत्रकार से उनका परिचय करवाया।
दुबे के अनुसार, पाठक जी और उस सोनू ठाकुर पत्रकार ने उन्हें पैसों का प्रलोभन दिया। उन्होंने दुबे से यह कहने के लिए कहा कि उनकी ग्राम पंचायत की सरपंच, लक्ष्मी रानी आठिया, मजदूरों की जगह मशीनों से काम करवा रही हैं। दुबे ने इस तरह का झूठा बयान देने से स्पष्ट इनकार कर दिया।
इसके बाद, स्थिति और गंभीर हो गई। दुबे का आरोप है कि पाठक और सोनू ठाकुर नामक दोनों पत्रकार, साथ ही उनके दो साथियों ने उन्हें धमकी दी। उन्होंने कहा कि यदि दुबे उनके कहे अनुसार बयान नहीं देते हैं, तो वे पत्रकार होने का लाभ उठाकर उन्हें कुम्हारी थाने में किसी झूठे चारित्रिक अपराध के मामले में फँसा देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि कुम्हारी थाना क्षेत्र में उनकी अच्छी पैठ है, जिसका वे इस्तेमाल कर सकते हैं।
दुबे ने स्वीकार किया कि उस समय वह थोड़े शराब के नशे में थे। उन्होंने बताया कि पाठक और ठाकुर पत्रकार की धमकियों से डरकर उन्होंने उनके कहे अनुसार बयान दे दिया। हालांकि, अब वह स्पष्ट कर रहे हैं कि वास्तविकता बिल्कुल विपरीत है। उनके अनुसार, उनकी ग्राम पंचायत में सरपंच लक्ष्मी रानी आठिया द्वारा सभी कार्य मजदूरों से ही करवाए जा रहे हैं, मशीनों से नहीं। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि सच्चाई जानने के लिए कोई भी व्यक्ति गाँव में आकर स्थिति का प्रत्यक्ष निरीक्षण कर सकता है।
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि वीरेंद्र प्रसाद दुबे पर दो पत्रकारों और उनके साथियों द्वारा दबाव डाला गया ताकि वह सरपंच के खिलाफ झूठी गवाही दें। पैसों का लालच और झूठे मुक़दमे में फँसाने की धमकी का इस्तेमाल किया गया। दुबे ने डर के कारण उस समय उनकी बात मान ली, लेकिन बाद में उन्होंने सच्चाई बताते हुए अपने पहले के बयान को वापस ले लिया। उनका कहना है कि सरपंच द्वारा गाँव में विकास कार्य सही तरीके से, मजदूरों की सहायता से ही किए जा रहे हैं।

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