दमोह जिले के जबेरा थाना क्षेत्र के ग्राम चंडी चोपरा में 26 मई, 2025 को एक गाय की जघन्य हत्या का मामला
दमोह के ग्राम चंडीचोपरा में गाय की निर्मम तरीके से हत्या जिसमें एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी हत्यारे पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं, स्थानीय समुदाय और पशु प्रेमियों के बीच गहरे आक्रोश का विषय बन गया है।
यह घटना न केवल पशु क्रूरता का एक वीभत्स उदाहरण है, बल्कि यह कानून-व्यवस्था और पुलिस की सक्रियता पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।
निर्मम हत्या और पुलिस की निष्क्रियता
घटना के विवरण बताते हैं कि गाय की हत्या अत्यंत बर्बर तरीके से की गई थी। उसके चारों थन बेरहमी से काट दिए गए थे, सिर को कुचल दिया गया था, और यहां तक कि गुप्तांग की जगह भी काट दी गई थी। इस तरह की क्रूरता न केवल अमानवीय है, बल्कि यह दर्शाता है कि अपराधियों में किसी भी प्रकार की नैतिकता या मानवीय संवेदना नहीं है।
सबसे अधिक परेशान करने वाली बात यह है कि हत्या को एक सप्ताह बीत जाने के बावजूद पुलिस हत्यारों को पकड़ने में विफल रही है। यह और भी चौंकाने वाला है जब यह बताया जा रहा है कि हत्यारे गांव के ही हैं। यदि हत्यारे स्थानीय हैं,
तो पुलिस के लिए उनका सुराग लगाना और उन्हें गिरफ्तार करना अपेक्षाकृत आसान होना चाहिए। यह स्थिति पुलिस की जांच क्षमताओं और उनकी प्राथमिकताओं पर प्रश्नचिह्न लगाती है। क्या पुलिस के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं? या क्या इस मामले को उतनी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा जितनी गंभीरता से इसे लिया जाना चाहिए?
जन आक्रोश और भगवती मानव कल्याण संगठन की भूमिका
इस अमानवीय कृत्य के खिलाफ जन आक्रोश स्वाभाविक है। भगवती मानव कल्याण संगठन जैसे सामाजिक संगठन, जो पशु कल्याण के लिए काम करते हैं, ने इस मामले में सक्रिय भूमिका निभाई है। संगठन के हजारों कार्यकर्ताओं ने जबेरा थाना पहुंचकर थाना प्रभारी को ज्ञापन दिया है, जिसमें उन्होंने तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
ज्ञापन में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि हत्यारों को शीघ्र गिरफ्तार नहीं किया जाता है, तो संगठन एसपी ऑफिस के सामने पुलिस की निष्क्रियता के खिलाफ बड़ा धरना प्रदर्शन करेगा।
यह चेतावनी न केवल पुलिस पर दबाव बनाने के लिए है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि समुदाय इस अन्याय को चुपचाप सहन नहीं करेगा। ऐसे विरोध प्रदर्शन पुलिस और प्रशासन पर न केवल दबाव डालते हैं बल्कि उन्हें जवाबदेह भी ठहराते हैं। यदि पुलिस अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में विफल रहती है, तो यह लोकतंत्र में नागरिकों का अधिकार है कि वे विरोध करें और न्याय की मांग करें।
न्याय की आवश्यकता और भविष्य की चुनौतियाँ
यह मामला केवल एक गाय की हत्या का नहीं है; यह न्याय, कानून के शासन और पशु अधिकारों का मामला है।
पुलिस को इस मामले में त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए। उन्हें न केवल हत्यारों को गिरफ्तार करना चाहिए, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके खिलाफ मजबूत कानूनी मामला बनाया जाए ताकि उन्हें उचित दंड मिल सके। इसके अतिरिक्त, पुलिस को भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए निवारक उपाय करने चाहिए। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाना, पशु क्रूरता के मामलों की गंभीरता से जांच करना और ऐसी घटनाओं के खिलाफ त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना शामिल हो सकता है।
यह घटना एक याद दिलाती है कि पशु क्रूरता एक गंभीर अपराध है और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। न्याय तभी मिलेगा जब हत्यारों को पकड़ा जाएगा और उन्हें उनके किए की सजा मिलेगी।