यह सचमुच में एक विचलित करने वाली घटना है, जो रिश्तों की मर्यादा और सामाजिक मूल्यों पर गंभीर सवाल खड़े करती है। अलीगढ़ में सास-दामाद के दुर्भाग्यपूर्ण प्रकरण के बाद, बदायूं में समधी और समधन का इस तरह से भाग जाना, पारिवारिक ताने-बाने को झकझोर कर रख देता है। यह केवल दो व्यक्तियों का निजी मामला नहीं है, बल्कि इससे दो परिवारों की प्रतिष्ठा और शांति भंग हुई है।
ममता, जो कि चार बच्चों की मां हैं, और शैलेंद्र, जो उनकी बेटी के ससुर हैं, का इस प्रकार से संबंध बनाना और फिर घर से कीमती सामान लेकर फरार हो जाना, न केवल अनैतिक है बल्कि कानूनी रूप से भी अपराध की श्रेणी में आ सकता है। इस घटना से न केवल ममता के बच्चे और पति बल्कि शैलेंद्र का परिवार भी गहरे सदमे में होगा। बेटी के ससुराल वालों के साथ मां का ऐसा कृत्य, बेटी के वैवाहिक जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
ऐसी घटनाएं समाज में विश्वास और रिश्तों की पवित्रता पर प्रश्नचिह्न लगाती हैं। यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि आखिर सामाजिक मूल्यों का ह्रास किस स्तर तक पहुंच गया है। परिवारों को आपसी विश्वास और सम्मान को बनाए रखने के लिए और अधिक जागरूक और सतर्क रहने की आवश्यकता है। साथ ही, ऐसे मामलों में कानून का सख्ती से पालन होना चाहिए ताकि समाज में गलत संदेश न जाए।
यह देखना दुखद है कि कुछ लोग अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए पारिवारिक और सामाजिक बंधनों को तोड़ने में भी संकोच नहीं करते। इस घटना का दोनों परिवारों पर क्या मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ेगा, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। उम्मीद है कि पुलिस जल्द ही ममता और शैलेंद्र को ढूंढ निकालेगी और कानून के अनुसार कार्रवाई करेगी, ताकि पीड़ित परिवारों को कुछ न्याय मिल सके।
