*फोनपे की तरह फर्जी ऐप बनाकर दुकानदारों को लगाया चूना: पुलिस ने दो शातिर युवकों को किया गिरफ्तार, एक फरार*
बरेली पुलिस ने दो ऐसे शातिर युवकों को गिरफ्तार किया है जो फर्जी ऐप के जरिए दुकानदारों से ठगी कर रहे थे। दोनों युवक ‘फोनपे’ की तरह हूबहू दिखने वाला एक नकली ऐप बनाकर दुकानों से सामान खरीदते और पेमेंट के नाम पर ठगी करते थे। वे सामान खरीदने के बाद दुकानदार के QR कोड को स्कैन करते और नकली ऐप से पेमेंट दिखाते थे। दुकानदार को लगता था कि भुगतान हो गया है, लेकिन वास्तव में कोई ट्रांजेक्शन नहीं होता था।
इस फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब एक मेडिकल स्टोर संचालक ने इसकी शिकायत पुलिस से की। पुलिस ने मामले की जांच की और दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
*आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है…*
एसपी साउथ अंशिका वर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि फतेहगंज पूर्वी थाने में 17 अप्रैल को संयम प्रियदर्शी नामक केमिस्ट ने शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि दो युवक उनके मेडिकल स्टोर पर दवाएं लेने आए थे और पेमेंट ऑनलाइन करने की बात कही थी। दोनों युवकों ने फोनपे जैसे दिखने वाले एक ऐप से पेमेंट किया। पेमेंट करते ही उनके मोबाइल पर मैसेज भी आ गया कि राशि उनके बैंक खाते में ट्रांसफर हो गई है। लेकिन जब उन्होंने बैंक अकाउंट चेक किया तो पाया कि भुगतान नहीं हुआ है।
इसके बाद उन्होंने फतेहगंज पूर्वी थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने तफ्तीश शुरू की और दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। इनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।
*मेडिकल स्टोर पर ही खुली पोल*
एसपी साउथ ने बताया कि पुलिस ने फरीदपुर निवासी 19 वर्षीय समर्थ सिंह पुत्र आदित्य कुमार और चाणक्य नईर पुत्र भारत भूषण, निवासी महादेवी पुरम, थाना फरीदपुर को गिरफ्तार किया है। जबकि इनका एक और साथी युवराज सिंह चौहान (उम्र 20 वर्ष) अभी फरार है। पुलिस उसकी तलाश में जुटी है। दोनों युवकों ने मेडिकल स्टोर से 1160 रुपए की दवाएं खरीदी थीं और फर्जी ऐप के जरिए पेमेंट किया था।
समर्थ इंटरमीडिएट कर चुका है और एक मेडिकल स्टोर पर काम करता है, जबकि चाणक्य भी इंटर पास है।
*अपराध करने का तरीका*
पुलिस हिरासत में लिए गए समर्थ सिंह उर्फ क्रिस तोमर और चाणक्य नईर उर्फ आदि गुप्ता ने बताया कि वे और उनका साथी युवराज सिंह फोनपे की तरह दिखने वाला एक फर्जी ऐप चलाते हैं। इस ऐप के जरिए वे दुकानदारों का QR कोड स्कैन कर नकली ट्रांजेक्शन दिखाते हैं। यह ट्रांजेक्शन पूरी तरह असली जैसा लगता है, लेकिन असल में कोई भी भुगतान नहीं होता। दुकानदार को लगता है कि पैसे उसके खाते में आ गए हैं।
*खुलासा करने वाली टीम*
इस खुलासे में थाना फतेहगंज पूर्वी के प्रभारी निरीक्षक संतोष कुमार, उप निरीक्षक भूपेंद्र सिंह, उप निरीक्षक हेमंत कुमार, कांस्टेबल दीपक कुमार और कांस्टेबल रिंकू पाल की अहम भूमिका रही।
एसपी साउथ अंशिका वर्मा ने बताया कि इन दोनों युवकों ने फर्जी UPI ऐप के जरिए अब तक करीब 30-40 दुकानदारों से ठगी की है। इनका एक साथी फरार है। पुलिस उसकी भी तलाश कर रही है।