दमोह नगरपालिका में रविवार की रात्रि को अनाधिकृत रूप से कार्यालय खोले जाने की घटना ने गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। पूर्व मुख्य नगरपालिका अधिकारी (सीएमओ) प्रदीप शर्मा के सागर स्थानांतरण के पश्चात, कर्मचारियों द्वारा कार्यालय खोले जाने का औचित्य अभी तक स्पष्ट नहीं है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पार्षदों और निलंबित कर्मचारियों ने इस कृत्य का तीव्र विरोध किया है, जिससे स्थिति और भी संदेहास्पद हो गई है।
इस घटना के परिणामस्वरूप, सिटी कोतवाली पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। पुलिस के अनुसार, उन्हें घटना की सूचना दूरभाष पर प्राप्त हुई थी। पुलिस अब मामले की गहन जांच कर रही है। यदि निष्पक्ष और सक्षम जांच की जाती है, तो यह संभव है कि एक महत्वपूर्ण वित्तीय या प्रशासनिक अनियमितता का पर्दाफाश हो सके।
इस घटना ने नगरपालिका कार्यालय की सुरक्षा और पारदर्शिता पर गंभीर चिंताएं उत्पन्न की हैं। अनाधिकृत रूप से कार्यालय में प्रवेश, विशेष रूप से अवकाश के दिन, यह संकेत देता है कि शायद महत्वपूर्ण दस्तावेजों या वित्तीय अभिलेखों में हेरफेर करने का प्रयास किया जा रहा था। मामले की गंभीरता को देखते हुए, एक उच्च-स्तरीय जांच आवश्यक है ताकि सत्य को उजागर किया जा सके और दोषियों को न्याय के कठघरे में लाया जा सके।
