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असफलता एक चुनौती है इसे स्वीकार करो क्या कमी रह गई देखो सोच और विचार करो

दमोह में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद जो दुखद घटनाएं सामने आई हैं, वे वास्तव में हृदयविदारक हैं। एक युवा छात्रा का, जिसने अभी जीवन की दहलीज पर कदम रखा था, परीक्षा में अपेक्षा के अनुरूप परिणाम न आने पर आत्महत्या कर लेना, एक गहरी त्रासदी है। यह घटना न केवल उस परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी भी है। यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम अपने बच्चों पर शैक्षणिक सफलता का इतना अधिक दबाव डाल रहे हैं कि वे असफलता को सहन नहीं कर पा रहे हैं?
पथरिया एस डी एम द्वारा अभिभावकों से की गई अपील अत्यंत महत्वपूर्ण और समयोचित है। यह आवश्यक है कि माता-पिता और परिवार के सदस्य इस समय अपने बच्चों के साथ खड़े रहें। उन्हें यह महसूस कराना होगा कि परीक्षा परिणाम उनके जीवन का अंतिम फैसला नहीं है। असफलता जीवन का एक हिस्सा है और यह हमें सीखने और आगे बढ़ने का अवसर देती है। बच्चों को यह समझना होगा कि एक परीक्षा में कम अंक आने का मतलब यह नहीं है कि वे कमतर हैं या उनका भविष्य अंधकारमय है।
दमोह/हटा थाना क्षेत्र के पटना गांव में छात्रा का कुएं में कूदना भी एक अत्यंत चिंताजनक घटना है। यह दिखाता है कि कुछ बच्चे परीक्षा के दबाव और असफलता के डर को किस हद तक महसूस कर रहे हैं। राहत और बचाव कार्य जारी है, और हम सभी उम्मीद करते हैं कि छात्रा सुरक्षित होगी। यह घटना इस बात पर प्रकाश डालती है कि हमें अपने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक कल्याण पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
यह सच है कि अंकसूची मात्र एक कागज का टुकड़ा है। यह किसी व्यक्ति के ज्ञान, कौशल, प्रतिभा और मानवीय मूल्यों का पूर्ण प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती। हमारे बच्चे अनमोल हैं, और उनका जीवन किसी भी परीक्षा परिणाम से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। हमें उन्हें यह विश्वास दिलाना होगा कि वे प्यार और समर्थन के हकदार हैं, चाहे उनके परीक्षा परिणाम कुछ भी हों।
जो छात्र इस बार सफल नहीं हो पाए हैं, उन्हें निराश होने की कोई आवश्यकता नहीं है। यह एक अस्थायी setback है, अंत नहीं। कई सफल लोग ऐसे रहे हैं जिन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा में चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया। उन्हें अपनी गलतियों से सीखना चाहिए, अपनी कमजोरियों की पहचान करनी चाहिए और फिर से प्रयास करना चाहिए। स्कूल और परिवार को उन्हें आवश्यक मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करनी चाहिए ताकि वे अपनी पढ़ाई में सुधार कर सकें।
इसके अलावा, हमें समाज के रूप में अपनी सोच में बदलाव लाने की आवश्यकता है। हमें शैक्षणिक सफलता को ही एकमात्र सफलता का पैमाना नहीं मानना चाहिए। हर बच्चे में अपनी अनूठी प्रतिभा और क्षमताएं होती हैं, जिन्हें पहचानना और पोषित करना महत्वपूर्ण है। खेल, कला, संगीत, तकनीकी कौशल और अन्य क्षेत्रों में भी सफलता प्राप्त की जा सकती है। हमें अपने बच्चों को उनकी रुचियों और क्षमताओं के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
अंत में, मैं सभी अभिभावकों, शिक्षकों और समुदाय के सदस्यों से अपील करता हूं कि वे इस संवेदनशील समय में धैर्य और समझदारी से काम लें। अपने बच्चों के साथ संवाद करें, उनकी भावनाओं को समझें और उन्हें यह विश्वास दिलाएं कि वे अकेले नहीं हैं और आप हमेशा उनके साथ हैं। आइए हम सब मिलकर यह सुनिश्चित करें कि हमारे बच्चे स्वस्थ रहें, खुश रहें और जीवन में सफल हों, चाहे उनके परीक्षा परिणाम कुछ भी हों।

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