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नगर पालिका सीएमओ पर फेंकी गई शिहाई को लेकर stsc का मामला दर्ज दो लोगों पर एफआईआर गंभीर

दमोह नगर पालिका के मुख्य नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ) प्रदीप कुमार शर्मा ने कोतवाली थाने में एक औपचारिक शिकायत, जिसे प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) के रूप में जाना जाता है, दर्ज कराई है। यह शिकायत दो व्यक्तियों, विवेक अग्रवाल और छुट्टटू, के खिलाफ दर्ज की गई है, जिसमें कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। पुलिस अधीक्षक श्री सोमवंशी ने इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि सीएमओ प्रदीप शर्मा द्वारा प्रस्तुत हस्तलिखित आवेदन पत्र में विस्तृत घटनाक्रम का उल्लेख किया गया है, जिसके आधार पर यह एफआईआर दर्ज की गई है।
आरोपियों पर शासकीय कार्य में बाधा डालने का आरोप लगाया गया है। शासकीय कार्य में बाधा डालना एक गंभीर अपराध है क्योंकि यह लोक सेवकों को उनके आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोकता है, जिससे सार्वजनिक सेवाओं और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में व्यवधान उत्पन्न होता है। उदाहरण के लिए, यदि आरोपी सीएमओ को किसी महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेने से रोकते हैं या किसी आवश्यक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने से बाधित करते हैं, तो इसे शासकीय कार्य में बाधा डालना माना जा सकता है।
इसके अतिरिक्त, आरोपियों पर सीएमओ के चेहरे पर स्याही फेंककर उनका अनादर करने का आरोप है। इस प्रकार का कृत्य न केवल अपमानजनक है बल्कि शारीरिक हमला भी माना जा सकता है, जिसका उद्देश्य पीड़ित को सार्वजनिक रूप से अपमानित और आतंकित करना होता है। यह कृत्य पीड़ित की गरिमा और आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाता है और समाज में गलत संदेश देता है कि इस प्रकार का व्यवहार स्वीकार्य है।
शिकायत में यह भी कहा गया है कि आरोपियों ने एक साथ मिलकर सीएमओ को गंदी-गंदी गालियाँ दीं और उन्हें जान से मारने की धमकी दी। गाली-गलौज करना मौखिक दुर्व्यवहार की श्रेणी में आता है और पीड़ित को मानसिक और भावनात्मक रूप से परेशान कर सकता है। जान से मारने की धमकी देना एक अधिक गंभीर अपराध है, जो पीड़ित में भय और असुरक्षा की भावना पैदा करता है और कानून व्यवस्था के लिए भी खतरा है।
घटना के दौरान, जब नगर पालिका के सीएमओ के आवास पर खड़े कर्मचारी जितेन्द्र बंसल ने बीच बचाव करने की कोशिश की, तो आरोपियों ने उन्हें भी गंदी-गंदी गालियाँ दीं और जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल करके उनका अपमान किया। यह आरोप अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत एक गंभीर अपराध है, क्योंकि यह किसी व्यक्ति की जाति के आधार पर उसे अपमानित करने और भेदभाव करने को दंडित करता है। इस घटना से न केवल पीड़ित कर्मचारी की गरिमा का उल्लंघन हुआ, बल्कि यह सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों के भी विपरीत है।
पुलिस अधीक्षक द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, प्रथम दृष्टया इन आरोपों के आधार पर आरोपियों, विवेक अग्रवाल और छुट्टटू यादव के खिलाफ निम्नलिखित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है:
* धारा 115(2): यह धारा संभवतः किसी अपराध के दुष्प्रेरण से संबंधित है, यदि मुख्य अपराध घटित न हुआ हो।
* धारा 132: यह धारा लोक सेवक को उसके कर्तव्य निर्वहन से निवारित करने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुँचाने से संबंधित हो सकती है।
* धारा 133: यह धारा लोक सेवक पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करने से संबंधित हो सकती है, ताकि उसे अपने कर्तव्य निर्वहन से निवारित किया जा सके।
* धारा 296: यह धारा सार्वजनिक उपद्रव करने से संबंधित है।
* धारा 351(3) और 351(4): ये धाराएं संभवतः आपराधिक धमकी और हमला से संबंधित हैं। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में इन धाराओं का उल्लेख है, जो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) का स्थान ले रही है।
* धारा 3 (5) बी एन एस: यह धारा भी भारतीय न्याय संहिता से संबंधित है और संभवतः किसी विशिष्ट अपराध को परिभाषित करती है।
* धारा 3 (1) द, 3 (1) ध, 3 (2) व्ही.ए एससीएसटी एक्ट: ये धाराएं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत जातिगत गाली-गलौज और अपमान से संबंधित हैं।
इन धाराओं के तहत मामला दर्ज होने का मतलब है कि पुलिस अब इस मामले की गहन जांच करेगी, साक्ष्य जुटाएगी और आरोपियों को गिरफ्तार कर अदालत में पेश करेगी। अदालत में इन आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत पेश किए जाने पर आरोपियों को कानून के अनुसार दंडित किया जा सकता है। यह घटना सार्वजनिक जीवन में लोक सेवकों की सुरक्षा और सम्मान के महत्व को दर्शाती है, साथ ही समाज में जातिगत भेदभाव और अत्याचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है।
विशेष जब स्याही सीएमओ पर फेंकी गई तब जितेंद्र बंसल कहां था यह भी एक जांच का विषय है हालांकि जब स्याही फेंकी गई तब जितेंद्र बंसल वीडियो में नजर नहीं आया l हालांकि पिक्चर अभी बाकी है गिरफ्तारी कब होगी जिला कलेक्टर ने जब 10 तारीख का अल्टीमेट हम दिया था तो आज 12 तारीख तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई l सूत्र यह सोची समझी साज़िश है l दमोह पुलिस बहुत-बहुत धन्यवाद

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