*प्रेस स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं!*
*लेकिन कटु सत्य ख़तरे में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ!*
*देखत देखत यार बदल गए सारे रिश्तेदार बदल गए जोन बात छापत ते सांची अब तो बे अखबार बदल गए*
हर साल 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। यह दिन प्रेस की आज़ादी, उसके महत्व और पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर लोगों को जागरूक करने का एक अवसर है। यह संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1993 में घोषित किया गया था, और तब से यह दिन उन मूल्यों की याद दिलाता है जो एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और जिम्मेदार प्रेस के बिना संभव नहीं हैं।
*प्रेस (पत्रकार)की क्या है भूमिका !*
प्रेस को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। इसकी मुख्य जिम्मेदारी है – सरकार और समाज के बीच पुल का कार्य करना, सच्चाई को जनता के सामने लाना, गलत नीतियों की आलोचना करना, और जनहित के मुद्दों को उठाना। प्रेस नागरिकों को न केवल सूचित करता है, बल्कि उन्हें सशक्त भी बनाता है।
*प्रेस की स्वतंत्रता क्यों ज़रूरी है?*
जब पत्रकार बिना किसी दबाव, डर या सेंसरशिप के काम कर सकते हैं, तभी वे समाज के सच्चे पहरेदार बन सकते हैं। प्रेस की स्वतंत्रता यह सुनिश्चित करती है कि जनता को सही जानकारी मिले, सत्ता की जवाबदेही बनी रहे, और मानवाधिकारों की रक्षा हो।
*चुनौतियाँ और खतरे से जूझते पत्रकार!*
दुनियाभर में पत्रकारों को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है – सेंसरशिप, धमकियाँ, गिरफ्तारी, और कभी-कभी जान का जोखिम भी। कई देशों में मीडिया पर राजनीतिक या कारोबारी दबाव बढ़ रहा है, जिससे उसकी निष्पक्षता खतरे में पड़ जाती है।
*प्रेस की स्वतंत्रता पर सवाल?*
भारत में प्रेस को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है, लेकिन समय-समय पर यह स्वतंत्रता सवालों के घेरे में रही है। हाल के वर्षों में रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत की प्रेस स्वतंत्रता रैंकिंग में गिरावट आई है, जो एक चिंताजनक संकेत है।
*व्यक्तिगत अनुभव!*👇
प्रेस स्वतंत्रता दिवस सिर्फ पत्रकारों के लिए नहीं, बल्कि हर उस नागरिक के लिए महत्वपूर्ण है जो सच जानना चाहता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र प्रेस आवश्यक है, और इसे बनाए रखने की जिम्मेदारी हम सभी की है।