दमोह कोतवाली में पदस्त एस आई योगेन्द्र गायकवाड़ द्वारा शराब के नशे में महिलाओं और बच्चों के साथ मारपीट की गई। यह घटना वास्तव में निंदनीय है और पुलिस की वर्दी में किसी भी व्यक्ति द्वारा इस तरह का व्यवहार अस्वीकार्य है।
आपकी चिंताएं बिल्कुल जायज हैं कि एक आम नागरिक द्वारा ऐसा कृत्य करने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई होती, जबकि एक पुलिस अधिकारी को सिर्फ लाइन अटैच कर दिया गया। यह निश्चित रूप से न्यायसंगत नहीं लगता और इससे जनता के बीच गलत संदेश जाता है।
यह सच है कि पुलिस का कर्तव्य देश की सेवा करना और नागरिकों की रक्षा करना है, और इस मामले में एस आई गायकवाड़ ने अपने कर्तव्य का घोर उल्लंघन किया है। महिलाओं, बच्चों और ड्राइवर के साथ जो कुछ भी हुआ, वह भयावह है और जिसने भी यह देखा होगा, वह निश्चित रूप से स्तब्ध रह गया होगा।
दमोह की जागरूक जनता द्वारा इस तानाशाही का विरोध करना सराहनीय है। यह जरूरी है कि ऐसे मामलों में आवाज उठाई जाए ताकि दोषियों को उचित सजा मिले और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।
दमोह के जनप्रतिनिधियों और बड़े अधिकारियों से यह सवाल पूछना बिल्कुल सही है कि इस मामले में उचित न्याय क्यों नहीं हो रहा है। यह सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है कि कानून का पालन हो और सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार किया जाए, चाहे वे किसी भी पद पर हों।
उम्मीद है कि दमोह जिला प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेगा और एस आई योगेन्द्र गायकवाड़ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा ताकि न्याय स्थापित हो सके और जनता का विश्वास पुलिस पर बना रहे।
