दमोह जिला अस्पताल एक बार फिर सुर्खियों में है, इस बार सिक्योरिटी गार्ड से प्रतिदिन 100 रुपये की कथित वसूली को लेकर
हालांकि, कैमरे के सामने गार्ड ने खुद यह कहा है कि उनसे पैसे की मांग करवाई जा रही है। यह आरोप अस्पताल में चल रही अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की एक और कड़ी को दर्शाता है।
दमोह जिला अस्पताल पहले भी कई कारणों से विवादों में रहा है, जिनमें शामिल हैं:
* प्रसूताओं की मौत का मामला: पूर्व में प्रसूताओं की मौत के मामले सामने आ चुके हैं, जिनकी जांच भी की गई थी।
* डॉक्टर-नर्सिंग स्टाफ द्वारा अभद्रता: मरीजों और उनके परिजनों के साथ डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ द्वारा अभद्रता के मामले भी अक्सर सामने आते रहते हैं।
* ब्लड की खरीद-फरोख्त: ब्लड की अवैध खरीद-फरोख्त से जुड़े मामले भी अस्पताल की छवि पर दाग लगा चुके हैं।
* फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट का मामला: हाल ही में, दमोह के मिशन अस्पताल (जो जिला अस्पताल से अलग है लेकिन इसी जिले में स्थित है) में एक “फर्जी” कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा की गई सर्जरी से कई मरीजों की मौत का बड़ा मामला सामने आया है। इस मामले में अस्पताल का लाइसेंस भी निलंबित कर दिया गया है।
* आउटसोर्स कर्मियों का विरोध: जिला अस्पताल के आउटसोर्स कर्मियों द्वारा नए सुपरवाइजर की नियुक्ति का विरोध भी किया गया था।
इन लगातार सामने आ रही समस्याओं से दमोह जिला अस्पताल की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को इन मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान देने और आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि मरीजों को उचित और सुरक्षित स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।