जबलपुर से खाटू श्याम की पैदल यात्रा दमोह पहुंची और स्थानीय श्याम भक्तों ने इतने उत्साह और प्रेम से यात्रियों का स्वागत किया। 17 अप्रैल को जबलपुर से शुरू हुई इस पदयात्रा में भाग लेने वाले श्रद्धालु निश्चित रूप से गहरी आस्था और भक्ति से प्रेरित होंगे। इतनी लंबी दूरी पैदल तय करना शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से एक बड़ी तपस्या है, जो उनके अटूट विश्वास को दर्शाती है।
दमोह में श्री श्याम भक्त मंडल द्वारा किया गया भव्य स्वागत भारतीय संस्कृति की उस परंपरा को जीवंत करता है जहाँ तीर्थयात्रियों का आदर-सत्कार किया जाता है। पार्षद मोनू राजपूत, सचिन असाटी, श्याम खत्री, राजू नामदेव और सुनील मोटवानी जैसे प्रमुख सदस्यों की उपस्थिति स्वागत समारोह की महत्ता को और बढ़ाती है। यह न केवल यात्रियों के प्रति सम्मान का प्रतीक है, बल्कि स्थानीय समुदाय के धार्मिक जुड़ाव को भी दर्शाता है।
खाटू श्याम, जिन्हें भगवान कृष्ण का ही एक रूप माना जाता है, उत्तरी भारत में विशेष रूप से राजस्थान में बहुत पूजनीय हैं। उनकी महिमा और भक्तों की अटूट श्रद्धा दूर-दूर से लोगों को उनकी ओर खींचती है। इस तरह की पैदल यात्राएं न केवल भक्तों को भगवान से जुड़ने का अवसर देती हैं, बल्कि विभिन्न स्थानों और संस्कृतियों के लोगों को आपस में मिलने और साझा अनुभवों से जुड़ने का भी मौका देती हैं।
यह यात्रा हमें यह भी याद दिलाती है कि भक्ति और श्रद्धा भौगोलिक सीमाओं से परे है। जबलपुर से चलकर दमोह पहुंचने वाले इन यात्रियों का स्वागत यह दर्शाता है कि खाटू श्याम के प्रति प्रेम और सम्मान हर जगह व्याप्त है। ऐसे आयोजनों से समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और लोगों को धार्मिक और आध्यात्मिक मूल्यों के प्रति प्रेरित किया जाता है। यह देखना सुखद है कि दमोह के श्याम भक्तों ने इस पवित्र यात्रा का हिस्सा बनकर अपनी श्रद्धा और सेवा भावना का परिचय दिया।
